कोरोना से जंग; छोटे बिजनेस लोन पर मोदी सरकार ने दी बड़ी राहत, अगले 12 महीने तक नो डिफॉल्‍ट

कोरोना महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के चलते हर स्तर के कारोबार को काफी नुकसान पहुंचा है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की थी। इसके तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों ( MSME) को लोन डिफॉल्ट संबंधी राहत दी जाएगी।

बिजनेस डेस्क। कोरोना महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के चलते हर स्तर के कारोबार को काफी नुकसान पहुंचा है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की थी। इसके तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों ( MSME) को लोन डिफॉल्ट संबंधी राहत दी जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार MSMEs को राहत देने के लिए दिवालिया घोषित किए जाने के कानून में बड़ा बदलाव करने जा रही है। अब दिवालिया घोषित किए जाने की कानूनी प्रक्रिया शुरू करने की सीमा 1 लाख रुपए से बढ़ा कर 1 करोड़ रुपए कर दी गई है। 

कर्ज वापस करने में हो रही परेशानी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन में MSME सेक्टर बड़े संकट के दौर से गुजर रहा है। सारे काम-धंधे बंद हैं। ऐसी हालत में सूक्ष्मस, लघु और मध्यम उद्योगों ने बैंकों से जो कर्ज लिए हैं, उन्हें लौटाने में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए सरकार ने इस सेक्टर को राहत देने के लिए दिवालिया घोषित करने की कानूनी प्रक्रिया शुरू करने की सीमा 1 लाख से बढ़ा कर 1 करोड़ कर दी है।

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एक साल तक नहीं किया जाएगा दिवालिया घोषित
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आईबीसी के सेक्शन 240 ए के तहत एक खास ढांचा तैयार किया जाएगा और एक साल तक MSME सेक्टर की कंपनियों को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया नहीं चल सकेगी। इन कंपनियों को लोन डिफॉल्टर कैटेगरी में भी नहीं डाला जाएगा। आर्थिक पैकेज की पांचवीं किश्त की घोषणा करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि एक साल के लिए दिवालिया प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है। 

MSME सेक्टर में 12 करोड़ लोगों को मिला है रोजगार
निर्मला सीतारमण ने कहा कि MSME सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इस सेक्टर में 12 करोड़ लोगों को रोजगार हासिल है। उन्होंने कहा कि राहत पैकेज में से 3 लाख करोड़ रुपए का लोन इस सेक्टर को दिया जाएगा। इस कर्ज की समय सीमा 4 साल की होगी और एक साल तक मूल धन भी नहीं चुकाना होगा। 


 

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