वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि यूपीए सरकार (UPA Govt) की नाक नीचे पूरा फ्रॉड हुआ और उसके बाद भी जब मामला सामने आया तो पिछली सरकार ने आगे कोई कार्रवाई नहीं की। जिसकी वजह से मामले को सुलझने में इतने साल लग गए।
बिजनेस डेस्क। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए एक दशक से ज्यादा पुराने देवास एंट्रिक्स डील मामले (Antrix-Isro Case) में यूपीए सरकार (UPA Govt) की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार की नाक नीचे पूरा फ्रॉड हुआ और उसके बाद भी जब मामला सामने आया तो पिछली सरकार ने आगे कोई कार्रवाई नहीं की। जिसकी वजह से मामले को सुलझने में इतने साल लग गए। यूपीए सरकार की गलती की वजह से इस मामले को जो काफी पहले सुलझ जाना चाहिए था, उसे हल होने में 10 से 12 सालों का समय लग गया। पहले यह समझने का प्रयास करते हैं, आखिर आखिर यह पूरा मामला क्या है? जिस पर देश की वित्त मंत्री को प्रेस कांफ्रेंस तक करनी पड़ गई।
क्या है एंट्रिक्स देवास डील
मॉरिशियस बेस्ड देवास मल्टीमीडिया मामला वास्तव में साल 2005 का है। उस समय इसरो और देवास मल्टीमीडिया के बीच एक डील हुई थी। जिसके अनुसार इसरो को देवास मल्टीमीडिया के लिए 2 सैटेलाइट लांच करने थे। इसके बाद देश में सैटेलाइट मोबाइल काम करना शुरू कर देते। दोनों सैटेलाइट को कम फ्रिक्वेंसी पर टेलीकॉम सेक्टर के लिए लांच किया जाना था। जिसके बाद कंपनी को काफी कम टॉवर्स पर खर्च करना पड़ता। इसका मतलब है कि सैटेलाइट मोबाइल होने से इंटरनेट या मोबाइल सिग्नल की शिकायत पूरी तरह से खत्म हो जाती।
डील कैंसल करने में लगा 6 साल का समय
प्रेस कांफ्रेंस में निर्मला सीतारमण ने जानकारी देते हुए कहा कि 2005 में जब यह डील हुई तो केंद्र में यूपीए सरकार थी। यह पूरी तरह से फ्रॉड डील थी जिसे कैंसल करने में यूपीए सरकार को 6 साल लग गए। यहां तक कि एक केंद्रीय मंत्री को गिरफ्तारी झेलनी पड़ी। ताज्जुब की बात तो ये है कि इस डील को कैबिनेट तक मंजूरी नहीं मिल सकी थी। उस समय के पीएम मनमोहन सिंह ने 24 फरवरी 2011 को कहा था कि एंट्रिक्स और देवास डील को मंजूरी देने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि ये कभी इस स्तर तक पहुंचा ही नहीं, केवल दो सैटेलाइट को लॉन्च करने की बात कैबिनेट के संज्ञान में लाई गई।
मोदी सरकार ने संभाला संभाला केस
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि यह डील पूरी तरह से फ्रॉड थी। मोदी सरकार ने हर कोर्ट में इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी। मामले को देवास आर्बिट्रेटर के पास लेकर गई, जबकि तत्कालिक सरकार ने कभी ऐसा नहीं किया,,जबकि इसके लिए सिर्फ 21 दिन का समय होता है। पिछली सरकार ने इस तरह की कोशिश की कि जो डील पूरी नहीं हो सकी तो आर्बिट्रेटर के माध्यम से फायदा पहुंचाया जाए। मोदी सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया गया।
देवास की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने देवास मल्टीमीडिया और पैरेंट कंपनी देवास इंप्लॉइज मॉरिशियस की याचिका को खारिज कर दिया था। देवास ने एनसीएलटी और एनसीएलएटी के खिलाफ याचिका दायर की थी। दोनों अपीलीय ट्रिब्यूनल ने देवास मल्टीमीडिया को बंद करने का आदेश दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा।
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इसरो डील से जुड़ा है मामला
कई साल पहले इसरो की एंट्रिक्स कॉर्प और देवास मल्टीमीडिया के बीच एक डील हुई थी। इस डील को 2011 में कैसल कर दिया गया। डील कैंसल होने के बाद देवास ने भारत सरकार से अपने नुकसान के भरपाई की मांग की। मामला इंटरनेशनल कोर्ठ में पहुंचा, जिसमें देवास जीत गया। इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स की कोर्ट ने भारत सरकार को देवास को 1.3 बिलियन डॉलर का भुगतान करने को कहा था। इस रकम के लिए देवास के विदेशी शेयरहोल्डर्स कनाडा और अमेरिका समेत कई देशों में भारत सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर कर चुके हैं।
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जब्त हुई थी भारत की प्रॉपर्टी
कनाडा के क्यूबेक प्रांत की सुपीरियर कोर्ट ने इस मामले में 24 नवंबर और 21 दिसंबर को दो ऑर्डर सुनाए थे। पहला यह कि आईएटीए के पास रखी एएआई और एयर इंडिया के असेट्स जब्त करने का आदेश दिया गया. इन आदेशों पर अमल करते हुए एएआई की 6.8 मिलियन डॉलर (करीब 51 करोड़ रुपए) और एयर इंडिया की 30 मिलियन डॉलर (करीब 223.5 करोड़ रुपए) से ज्यादा की संपत्तियां जब्त हुई। ये संपत्तियां कनाडा के क्यूबेक प्रांत में इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पास रखी हुई थीं।