रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने कोविड-19 वायरस महामारी के संकट के बीच अपने कामगारों के लिए 50 करोड़ रुपये के कल्याण कोष की घोषणा की है
मुंबई: रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने कोविड-19 वायरस महामारी के संकट के बीच अपने कामगारों के लिए 50 करोड़ रुपये के कल्याण कोष की घोषणा की है। इस महामारी की वजह से पूरा कारोबार ठहर सा गया है है।
जीजेईपीसी के अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल ने एक बयान में कहा, ‘‘पूरी दुनिया कोविड-19 के मद्देनजर अभूतपूर्व संकट से गुजर रही है। भारत भी इस घातक महामारी से जूझ रहा है। ऐसे कठिन समय में अपने कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखना आवश्यक और अनिवार्य हो जाता है।’’ देश में रत्न-आभूषण क्षेत्र में 50 लाख से अधिक लोग कार्यरत हैं।
मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की अपील
अग्रवाल ने कहा, "स्थिति से निपटने के प्रयास के तहत, हमने मौजूदा परिदृश्य में इस क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों की कल्याण के लिए अपने खुद के आरक्षित भंडार से 50 करोड़ रुपये का कोष बनाने का फैसला किया है।" उन्होंने अपने सभी सदस्यों से कोरोना बंदी के दौरान अपने सभी कर्मचारियों पर ध्यान देने तथा उनके साथ एकजुटता जताने के साथ मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की भी अपील की।
समय सीमा को बढ़ाने सहित विभिन्न उपायों की घोषणा
जीजेईपीसी के उपाध्यक्ष कोलिन शाह ने कहा कि वित्त मंत्री की घोषणा में कहा गया है कि 5 करोड़ रुपये से कम के वार्षिक कारोबार वाली कंपनियों पर 30 जून तक जीएसटी के संबंध में कोई ब्याज, जुर्माना या विलंब शुल्क नहीं लगाया जाएगा। इस घोषणा से रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों (एमएसएमई) की मदद मिलेगी।
कोविड-19 महामारी के प्रकोप और विभिन्न शहरों में आवागमन पर रोक से बड़े पैमाने पर आर्थिक व्यवधान उत्पन्न हुआ है। इस स्थिति में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 24 मार्च को आयकर और जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा को बढ़ाने सहित विभिन्न उपायों की घोषणा की।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(फाइल फोटो)