शुध्द सोना न देने पर ज्वेलर को भरना पड़ेगा लाखों का जुर्माना, अगले साल से नियम लागू होगा

सोने के खरीद पर धोखेबाजी के रोकथाम के लिए सरकार कड़ा कानून ला रही है। हॉलमार्क से ग्राहकों को होता है कई फायदे, यदि कोई ज्वेलर ने नियमों की अनदेखी की तो भरना पड़ेगा भारी जुर्माना। जनवरी 2020 तक संसद में पेश हो सकता है अधिसूचना। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 30, 2019 11:45 AM IST / Updated: Nov 30 2019, 05:19 PM IST

नई दिल्ली. भारत में सोने की मांग अन्य देशों के मुकाबले अधिक है। सोने को लेकर देश में भावनात्मक लगाव भी है। शादी का शुभ अवसर हो या त्योहार सभी मौकों पर सोने का खास महत्व है। ऐसे में भारत सरकार ने भी ग्राहकों के इस खास लगाव को देखते हुए सोने की शुध्दता और खरीद में धोखेबाजी के रोकथाम से संबंधित नया नियम लाने जा रही है। केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने इस बात का संकेत दिया है कि जनवरी 2020 तक इसके संबंध में अधिसूचना जारी किया जा सकता है।

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जल्द आएगा नियम

सरकार ने सोने के शुध्दता और कलाकृतियों के लिए साल 2021 तक ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) हॉल मार्किंग अनिवार्य करने की घोषणा कर सकती है। इसके लिए सरकार अगले साल जनवरी 2020 तक संसद में अधिवेशन ला सकती है। बता दें कि हॉलमार्क को सरकारी गारंटी रूप में माना जाता है। 

 सजा का प्रावधान

BIS हॉल मार्किंग अनिवार्य होने के बाद यदि कोई ज्वेलर नियमों को नहीं मानता है तो उस पर एक लाख रुपए का जुर्माना और एक साल की जेल हो सकती है। जुर्माने के तौर पर सोने की वैल्यू का 5 गुना तक चुकाने का भी प्रावधान किया जा सकता है। 

भारतीय मानक ब्यूरो केंद्र

देशभर में करीब 234 जिलों में BIS के कुल 877 सेंटर खोले गए हैं। लेकिन वर्तमान में मात्र 40 फीसदी ज्वेलरी की ही हॉल मार्किंग हो रही है। जानकारी के लिए बता दें कि देशभर में कुल करीब 6 लाख ज्वेलर्स हैं। 

क्या होता है हॉलमार्क

सरकार ने ग्राहकों द्वारा सोने के खरीद में धोखा न हो,  शुध्दता की जांच परख में आसानी के लिए भारतीय मानक ब्यूरो की स्थापना की। इसके अन्तर्गत सोने-चांदी के सिक्कों और आभूषणों की शुध्दता को प्रमाणित कर उस पर एक चिह्न अंकित किया जाता है। असली हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है। उस पर हॉलमार्किंग सेंटर ते लोगो के साथ ही सोने की शुध्दता भी लिखी होती है। 

हॉलमार्क के फायदे

हॉलमार्क पर पांच अंक होते हैं, जो सभी कैरेट के लिए अलग-अलग निर्धारित किया गया है। इसको सरकारी गारंटी के तौर पर माना जाता है। इसके कई फायदे हैं, जिसके तहत जब ग्राहक सोना बेचता है या रिप्लेस करता है तो इसमें डिप्रसिएशन का पैसा नहीं काटा जाता है।  


 

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