लॉकडाउन लगते ही दूसरे बिजनेस ठप हुए, लेकिन इन कामों में आई तेजी, रातों-रात छा गए ये कारोबार

लॉकडाउन लगने के बाद कई सालों से ठंडे पड़े सेक्टर में नई जान आ गई। जिनमें हेल्थ केयर सेक्टर, इंश्योरेंस मार्केट और ई-कॉमर्स सेक्टर प्रमुख हैं। कोविड के खतरनाक काल में इन सेक्टर में अच्छी तेजी देखने को मिली है।

बिजनेस डेस्क। दो साल पहले 24 मार्च 2020 को देशभर में कोरोना वायरस लॉकडाउन लगा दिया गया था। जिसके बाद करोड़ों लोगों की नौकरी चली गई थी। कई एमएसएमई बंद हो गए। कई सेक्टर मंदी की चपेट में चले गए। वहीं कुछ ऐसे कारोबार भी रहे जिनमें तेजी देखने को मिली। हेल्थ केयर मार्केट में तेजी आ गईै। वहीं लोगों में इंश्योरेंस कराने की सोच आने से इंश्योरेंस सेक्टर में ग्रोथ आया। ई-लर्निंग और वर्क फ्रॉम होम का कांसेप्ट आने से इंटरनेट कंजंपशन और इंडियन पीसी मार्केट में तेजी देखने को मिली। थिएटर बंद होने से लोगों ने ओटीटी की ओर मूव किया। मतलब साफ जितना इन सेकटर्स ने इस दौरान किया वो बेमिसाल था। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर लॉकडाउन के दौरान किन सेक्टर ने ज्यादा ग्रोथ किया।   

हेल्थ केयर मार्केट में आई तेजी
2020 के शुरूआती महीनों में जब भारत में कोविड केस आने शुरू हुए तो मार्केट में सैनिटाइजर से लेकर मास्क, सर्जिकल ग्लव्स का अकाल सा पड़ गया था। उसके बाद कंपनियों ने इन तेजी से काम करना शुरू किया। स्टैटिस्टा आंकड़ों के अनुसार 2020 में भारत में यही हेल्थ केयर मार्केेट 2020 में 194 अरब डॉलर पर पहुंच गया। जिसके 2022 में 372 अरब डॉलर के पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। जबकि 2019 में यही मार्केट 180 बिलियन डॉलर के आसपास ही था। मतलब है कि दो सालों में भारत का हेल्थ केयर मार्केट करीब- करीब दोगुना बढ़ चुका है।

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इंश्योरेंस सेक्टर में देखने को मिली तेजी
भारत दुनिया में इंश्योरेेंस कराने के मामले में उतना बेहतर नहीं है। आम लोगों में समझ तब आई जब उन्होंने कोविड के इलाज के लिए लाखों रुपए हॉस्पिटल में बिल के रूप में देने पड़े। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के आंकड़ों के अनुसार 2020 में सेकंड हाफ में इंश्योरेंस सेक्टर तेजी देखने को मिली। लेकिन ज्यादा बेहतर स्थिति वित्त वर्ष2021-22 के पहले हाफ देखने को मिली। इस दौरान लाइफ इंश्योरेंस में 5.8 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 के पहले हाफ में ग्रोथ सिर्फ0.8 फीसदी की ही थी। वहीं सितंबर 2021 में, जीवन बीमाकर्ताओं के नए प्रीमियम ने सितंबर 2021 में 22.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की, जो सितंबर 2020 में 2.9 फीसदी थी।

डाटा कंजंपशन में आई तेजी
साल 2020 में कोविड लॉकडाउन के बाद देश में सभी लोग घरों में कैद हो गए। सभी कई कंपनियों ने अपने इंप्लॉयज से वर्क फ्रॉम कराया। साथ बच्चों की पढ़ाई भी ऑनलाइन शुरू हो गई। जिसकी वजह से टेलीकॉम कंपनियों की निकल पड़ी। साल 2020 में आम लोगों ने डाटा कंजंपशन काफी किया। जहां साल 2019 में प्रति महीने में 12 जीबी से कम डाटा का इस्तेमाल करता था, वहीं साल 2020 में हर महीने में 13 जीबी से ज्यादा इस्तेमाल करने लगा है। एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 ट्रैफिक में 36 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है। साल 2025 भारत में पर यूजर 25 जीबी हर महीने डाटा कंज्यूम करने की संभावना जताई गई है।

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ओटीटी मार्केट में आई तेजी
मार्च 2020 से कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह लोग थिएटर से काफी दूर हो गए। जिसके बाद सिने जगत के लोगों ने ओटीटी प्लेटफॉर्म को पकड़ा और अपनी तैयार फिल्मों को रिलीज किया। आईबीईएफ के आंकड़ों के अनुसार भारत में ओटीटी सेक्टर ने मार्च और जुलाई 2020 के बीच पेड ग्राहकों की संख्या में 22.2 मिलियन से 29 मिलियन तकयानी 30 फीसदी का इजाफा देखा है। अप्रैल-जुलाई 2020 में हिंदी भाषा की सामग्री कुल स्ट्रीमिंग का 50 फीसदी से थी। टॉप पांच मेट्रो शहरों में कुल ओटीटी वीडियो प्लेटफॉर्म यूजर का 46 फीसदी हिस्सा था, जबकि टियर ढ्ढ शहरों में जुलाई 2020 में अन्य 35 फीसदी यूजर थे। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ओटीटी बाजार वित्त वर्ष 2019 में 42.50 बिलियन रुपए (576.73 मिलियन डॉलर) से वित्त वर्ष 2025 तक 237.86 बिलियन रुपए (3.22 बिलियन डॉलर) तक पहुंचने के लिए तैयार है।

कोविड लॉकडाउन के बाद दुनिया आठवां सबसे बडऱ ई-कॉमर्स बना भारत
जब भारत में कोरोना वायरस लॉकडाउन लगा तो आम लोगों ने बाहर निकलना बंद कर दिया। शुरुआत में लोगों ने कुछ महीनों का सामान अपने घरों में भर लिया। जब वो सामान खत्म होने लगा तो लोगों में चिंता बढऩे लगी। यहीं से ई-कॉमर्स मार्केट के बढऩे की शुरूआत हुई। आईबीईएफ की रिपोर्ट के अनुसार साल 2020में 50 बिलियन डॉलर टर्नओवर के साथ भारत ई-कॉमर्स के लिए आठवां सबसे बड़ा बाजार बन गया। जिसमें उसने फ्रांस और कनाडज्ञ जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया। रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में और इजाफा देखने को मिला। इस साल ई-कॉमर्स सेल 80 बिलियन डॉलर के पार चली गई, जिसके 2025 तक 112 बिलियन डॉलर और 2030 तक 350 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के आसार हैं।

भारतीय पीसी बाजार ने लगाई थी लंबी छलांग
वित्त वर्ष 2020-21 की पहली दो तिमाही में कोरोना की वजह से एक्सपोर्ट और इंपोर्ट ना के बराबर ही रहा, जिसकी वजह से भारतीय पीसी बाजार में गिरावट देखने को मिली, लेकिन 2020 की तीसरी तिमाही में महत्वपूर्ण वृद्धि देखने को मिली। कुल मिलाकर 3.4 मिलियन यूनिट शिपिंग हुई, जिसमें डेस्कटॉप, नोटबुक और वर्कस्टेशन शामिल थे। इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन के एनालिसिस के अनुसार यह 2019 की तीसरी तिमाही की तुलना में 9.2 प्रतिशत  ज्यादा थी। इस इजाफे की मुख्य वजह ई-लर्निंग की मांग और वर्क फ्रॉम होम रही। खास बात तो ये है कि 2020 की तीसरी तिमाही पिछले सात वर्षों में भारतीय पीसी बाजार के लिए सबसे बड़ी तिमाही बनी।

 

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