कैसे काम करेगी आरबीआई की Integrated Ombudsman Scheme, जानिए यहां

RBI Integrated Ombudsman Scheme : वर्तमान एकीकृत योजना आरबीआई द्वारा लोकपाल योजनाओं की समीक्षा के लिए गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार की गई थी।

बिजनेस डेस्क, RBI Integrated Ombudsman Scheme। अपनी वित्तीय शिकायतों को दूर करने के लिए आपको अब आरबीआई द्वारा रेगुलेटिड विभिन्न संस्थाओं का पीछा या चक्कर नहीं काटना पड़ेगा। अब आपके पास शिकायत दर्ज करने, दस्तावेज जमा करने, अपनी शिकायतों की स्थिति को ट्रैक करने और प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए एक ही रेफरेंस प्वाइंट होगा। 12 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से एकीकृत लोकपाल योजना यानी Integrated Ombudsman Scheme की शुरुआत की है। रिजर्व बैंक-एकीकृत लोकपाल योजना का उद्देश्य बैंकों, एनबीएफसी और आरबीआई द्वारा विनियमित भुगतान सेवा ऑपरेटरों जैसी संस्थाओं के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतों को हल करने के लिए शिकायत निवारण तंत्र में और सुधार करना है।

30 दिन में शिकायतें होंगी दूर
ग्राहक शिकायत को संभालने और संचालन में आसानी करने के साथ सभी शिकायत प्राप्तियों के केंद्रीकृत प्रबंधन, इनिशियल प्रोसेसिंग और 'एक राष्ट्र - एक ज्यूरीडिक्शन' अप्रोच की ओर बढऩे के लिए एक सेंट्रलाइज्ड रिसिप्ट और प्रोसेसिंग सेंटर यानी सीआरपीसी स्थापित किया गया है। लोकपाल एक अपीलीय निकाय है जहां यदि वित्तीय संस्थान 30 दिनों के भीतर शिकायत का समाधान करने में विफल रहता है, तो ग्राहक शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यहां तक कि जब ग्राहक वित्तीय संस्थान द्वारा दिए गए समाधान या दिए गए स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं होते हैं, तब भी वे लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं। पीएमओ की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, एकीकृत लोकपाल योजना कैसे काम करेगी आइए आपको भी बताते हैं।

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कैसे काम करेगी यह योजना?
- योजना का केंद्रीय विषय 'एक राष्ट्र-एक लोकपाल' पर आधारित है।
- इसमें ग्राहकों के लिए अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए एक पोर्टल, एक ईमेल और एक पता होगा
- ग्राहकों के लिए अपनी शिकायत दर्ज करने, दस्तावेज़ जमा करने, स्थिति ट्रैक करने और प्रतिक्रिया प्रदान करने के लिए एक ही रेफरेंस प्वाइंट होगा।
-  एक बहुभाषी टोल-फ्री नंबर शिकायत निवारण और शिकायत दर्ज करने में सहायता के बारे में सभी प्रासंगिक जानकारी प्रदान करेगा।

अब शिकायतों का निवारण कैसे किया जाता है
बैंकिंग लोकपाल योजना (बीओएस) 1995 में शुरू की गई थी। इसमें पांच संशोधन हुए हैं और 2018 में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (ओएसएनबीएफसी) के लिए लोकपाल योजना और 2019 में डिजिटल लेनदेन के लिए लोकपाल योजना (ओएसडीटी) के शुभारंभ का आधार भी है। वर्तमान एकीकृत योजना आरबीआई द्वारा लोकपाल योजनाओं की समीक्षा के लिए गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार की गई थी।

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समिति में यह लोग थे शामिल
आरबीआई की लोकपाल योजनाओं की विस्तृत समीक्षा करने के लिए आठ लोकपाल, कानूनी विभाग और उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण विभाग (सीईपीडी) के एक-एक अधिकारी सहित 10 सदस्यों के साथ एक आंतरिक कार्य समूह का गठन किया गया था। समिति ने कुछ प्रमुख सिफारिशें की हैं जिनमें सबसे प्रमुख है मौजूदा लोकपाल योजनाओं बीओएस (1 जुलाई, 2017 तक संशोधित), ओएसएनबीएफसी 2018 और ओएसडीटी 2019 का आरबीआई लोकपाल योजन में शामिल करना।

इस तरह की हुई थी सिफारिशें
पारदर्शिता और उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाने के लिए इसने शिकायतों के आधार को व्यापक बनाने और शिकायत की अस्वीकृति के लिए केवल एक विस्तृत 'नकारात्मक' या 'बहिष्करण' सूची शामिल करने का सुझाव दिया था। शिकायत के समाधान में लगने वाला समय भी समिति के लिए चिंता का विषय था, जिसने दो साल की अवधि में चरणबद्ध तरीके से शिकायत समाधान के लिए टर्नअराउंड समय (टीएटी) को घटाकर 30 दिन करने की सिफारिश की थी।

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