बजट 2022 (Budget 2022) पेश करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा समर्थित डिजिटल रुपये की शुरुआत की घोषणा की, जिसे CBDC के रूप में भी जाना जााएगा।
बिजनेस डेस्क। कोविड -19 महामारी (Covid-19 Pandemic) ने सभी क्षेत्रों में डिजिटल उपयोग को काफी तेज कर दिया है। डिजिटलीकरण (Digitisation) की लहर लोगों के सब कुछ करने के तरीके को बदल रही है। बजट 2022 (Budget 2022) पेश करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा समर्थित डिजिटल रुपये की शुरुआत की घोषणा की, जिसे CBDC के रूप में भी जाना जााएगा। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर डिजिटल करेंसी के क्या फायदें होंगे साथ ही इस एक्सपर्ट की क्या राय है।
क्रिप्टोकरेंसी की पैरेलल इकोनॉमी
डिजिटल मुद्रा की आवश्यकता के बारे में बताते हुए, क्लियर के संस्थापक और सीईओ अर्चित गुप्ता ने कहा कि भारतीय आधुनिक वित्तीय प्रणाली जिसमें सिक्योरिटीज, ट्रांजेक्शंस, कंयूनिकेशंस आदि शामिल हैं, को अब मुद्रा नोटों को छोड़कर, इसके संबंधित इलेक्ट्रॉनिक वर्जन में बदल दिया गया है। गुप्ता ने कहा कि हाल के दिनों में क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले लोगों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। क्रिप्टो निवेशकों द्वारा बनाई गई पैरेलल इकोनॉमी ने सरकार को डिजिटलीकरण की ओर कदम बढ़ाने और अपनी 'डिजिटल मुद्रा' बनाने के लिए मजबूर किया।
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डिजिटल करेंसी के लाभ
- कुशलपूर्वक ट्रांसफर
- लो ट्रांजेक्शन कॉस्ट
- नो फिजिकल डैमेज
- फंड तेजी का तेजी के साथ सेटलमेंट करता है।
- लेसर डाउनटाइम
- 24*7 उपलब्ध है और डिजिटल रुपया रखने के लिए बैंक खाते की कोई आवश्यकता नहीं है।
- तेज और आसान क्रॉस बॉर्डर ट्रांजेक्शंस
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इंटरनेशनल बिजनेस को मिलेगा विस्तार
नॉनब्लॉक्स ब्लॉकचैन स्टूडियो के संस्थापक और निदेशक, विंशु गुप्ता के अनुसार, डिजिटल मनी संभावित रूप से इंटरनेशनल कारोबार को विस्तार कर सकता है। उन्होंने कहा कि सीबीडीसी जारी करने से देश में एक अधिक कुशल और आर्थिक मुद्रा प्रबंधन प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा। सीबीडीसी को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित किया जाएगा, जिससे अन्य डिजिटल मुद्राओं में मौजूद अस्थिरता के जोखिम को कम किया जा सकेगा।
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रियल टाइम पर होगा ट्रांजेक्शंस
क्लियर के संस्थापक और सीईओ अर्चित गुप्ता ने समझाया डिजिटल मुद्रा भुगतान वित्तीय प्रणाली में निपटान जोखिम को कम करेगा। इंटरबैंक सेटलमेंट की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि सिस्टम बैंक बैलेंस के बजाय डिजिटल मुद्राओं का लेन-देन करेगा, जैसे कि नकद सौंप दिया जाता है। इसी तरह, विदेशी मुद्रा लेनदेन वास्तविक समय के आधार पर होगा। उदाहरण के लिए, एक भारतीय निर्यातक अपने अमेरिकी निर्यातक को रियल टाइम के आधार पर डिजिटल डॉलर में भुगतान करने में सक्षम होगा। चूंकि समय क्षेत्र का अंतर अब कोई मायने नहीं रखेगा, इसलिए कोई समझौता जोखिम नहीं होगा। डिजिटल मुद्राएं भुगतान प्रणालियों के वास्तविक समय और लागत प्रभावी वैश्वीकरण को बढ़ावा देंगी।