इस साल वर्ल्ड में सबसे तेज रफ्तार से बढ़ेगी भारत की अर्थव्यवस्था, अमेरिका और चीन भी रहेंगे हमसे पीछे

कोरोना महामारी की वजह से 2020 में मंदी की मार झेल रही भारत की अर्थव्यवस्था साल 2021 में दुनिया की सबसे तेज रफ्तार से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगी। यह अनुमान ऑर्गनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) ने मंगलवार को जाहिर किया है।

Asianet News Hindi | Published : Mar 10, 2021 8:13 AM IST / Updated: Mar 10 2021, 01:52 PM IST

बिजनेस डेस्क। कोरोना महामारी की वजह से 2020 में मंदी की मार झेल रही भारत की अर्थव्यवस्था साल 2021 में दुनिया की सबसे तेज रफ्तार से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगी। यह अनुमान ऑर्गनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) ने मंगलवार को जाहिर किया है। इस ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) इस वर्ष 12.6 फीसदी तक बढ़ सकता है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था चीन से भी तेज गति से आगे बढ़ेगी। चीन के बारे में ऑर्गनाइजेशन का अनुमान है कि 2020 की मंदी के बाद उसकी अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.8 फीसदी हो सकती है। 

पहले कितनी थी विकास दर
भारत की अर्थव्यवस्था में 2020 के अंतिम 3 महीनों में सकल घरेलू उत्पाद में 0.4 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी। इससे इसका मंदी वाला असर खत्म हो गया। वहीं, 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था में करीब 7 फीसदी की कमी हुई। ओईसीडी ने मंगलवार को जारी अपने पूर्वानुमान में कहा कि कोरोनोवायरस के वैक्सीन और प्रोत्साहन संबंधी घोषणाओं से हाल के महीनों में आर्थिक मामलों में काफी सुधार हुआ है। पेरिस स्थित एजेंसी ने यह भी कहा कि ऐसे संकेत थे कि अर्थव्यवस्था को पहले की तरह तरह अब नुकसान पहुंचने की संभावना  नहीं है। ओईसीडी ने यह उम्मीद जताया है कि 2021 में ग्लोबल इकोनॉमी में 5.6 फीसदी की वृद्धि होगी। वहीं, दिसंबर में इसके अनुमान से 1 फीसदी से ज्यादा सुधार होगा।

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अमेरिका की अर्थव्यवस्था को लेकर क्या कहा
इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD)  ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था में इस वर्ष 6.5 फीसदी तक बढ़ोत्तरी की संभावना जताई है, जो दिसंबर के पूर्वानुमान से 3 फीसदी ज्यादा है। एजेंसी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन के 1.9 ट्रिलियन डॉलर के प्रोत्साहन पैकेज के के प्रभाव के बारे में भी बताया। यूरोप में यूनाइटेड किंगडम (UK) के अलावा दूसरे देशों में कोरोना वैक्सीनेशन अभियान धीमा चल रहा है। एजेंसी का मानना है कि यूरो का इस्तेमाल करने वाले 19 देशों में उत्पादन में 3.9 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो सकती है। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को 2020 में यूरोप के दूसरे देशों की तुलना में बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ा, लेकिन इस वर्ष इसमें 5.1 फीसदी की वृद्धि होगी।

अर्थव्यवस्था के सुधार में समस्याएं
ओईसीडी का मानना है कि दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन अभियान एक जैसा नहीं चल रहा है और अभी भी नए संक्रमण की संभावना है। इसके अलावा महंगाई भी बढ़ रही है। साथ ही, निवेशक भी इन परिस्थितियों से परेशान हैं, लेकिन इस साल के अंत तक अर्थव्यवस्था में मजबूत रिकवरी हो सकती है। इससे केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। एजेंसी का मानना है कि चीन में मांग में तेजी से रिकवरी ठीक हो रही है। लेकिन आपूर्ति में कमी की वजह से खाद्य और धातु की कीमतों में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं, तेल की कीमतें अपने औसत स्तर पर पहुंच गई हैं, लेकिन एजेंसी ने इस बात पर जोर दिया कि अर्थव्यवस्था और रोजगार के क्षेत्र में अभी भी कमजोरी बनी हुई है।  

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