सिंगल प्रीमियम पॉलिसी लेकर आप बार-बार प्रीमियम चुकाने के झंझट से बच जाएंगे। लेकिन ऐसे लोग जिन्हें नियमित आय नहीं मिलती है, यह उनके लिए फायदेमंद है। इस पॉलिसी के और भी कई फायदे हैं।
बिजनेस डेस्कः लाइफ इन्श्योरेंस की ढेर सारी पॉलिसी में एक सिंगल प्रीमियम पॉलिसी भी होती है। इसमें बार-बार प्रीमियम चुकाने का झमेला नहीं होता और प्रीमियम चुकाने की तारीख आपको याद नहीं रखनी होती। लेकिन यहां यह जानना जरूरी है कि सिंगल प्रीमियम पॉलिसी में निवेश करना क्या फायदे का सौदा हो सकता है।
क्या है सिंगल प्रीमियम पॉलिसी
सिंगल प्रीमियम पॉलिसी में पॉलिसी लेने वाला एक बार ही पूरे प्रीमियम का भुगतान कर देता है और पूरी पॉलिसी अवधि में उसे इसका फायदा मिलता है। पहले सिंगल प्रीमियम पॉलिसी एक निवेश की तरह थी, जिसमें मुनाफे संभव था, लेकिन इसमें इन्श्योरेंस कम ही होता था। बीमा का मकसद सुरक्षा कवर मुहैया कराना होता है, इसलिए बाद में इसकी शर्तों में बदलाव किया गया।
सिंगल प्रीमियम पॉलिसी की खासियत
सिंगल प्रीमियम पॉलिसी में पॉलिसीधारक एक बार ही प्रीमियम का भुगतान करता है। वह पूरी पॉलिसी की अवधि में इसका फायदा उठाता है। पहले भी ऐसी पॉलिसी थीं, लेकिन ऐसी पॉलिसी पूंजी पर आय देने वाली ही थीं। पहले एकल प्रीमियम की पॉलिसी एक निवेश उत्पाद की तरह थीं। इसमें एक सुनिश्चित आधार पर बड़े मुनाफे का वादा किया जाता था। इनमें बीमा कम ही हुआ करता था। लेकिन इससे बीमा पॉलिसी का मतलब हल नहीं होता था। इसलिए बाद में बीमा पॉलिसी की शर्तें तैयार की गईं। इन शर्तों के कारण सिंगल प्रीमियम पॉलिसी अब कुछ ही लोगों के लिए फायदेमंद रह गईं।
ये शर्तें क्या हैं?
1. बीमा नियामक इन्श्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (इरडा) के नए दिशा निर्देशों के अनुसार बीमित धन सिंगल प्रीमियम की राशि का कम से कम पांच गुना होना चाहिए। जैसे सिंगल प्रीमियम 25,000 रुपए है तो बीमित राशि 1,25,000 रुपए होगी। बीमित राशि पॉलिसी के अंतिम दो सालों के अलावा घटाई नहीं जा सकती। इसका उद्देश्य ग्राहकों को फायदा पहुंचाना है। बीमित राशि ज्यादा होने का अर्थ है कि लोगों को ज्यादा बीमा कवर मिलेगा। इससे ज्यादा फायदा होगा। कंपनियां पांच गुने से ज्यादा रकम बीमित राशि निर्धारित कर सकती हैं, लेकिन वे पांच गुना ही रखती हैं।
2. सेक्शन 80सी के तहत किसी बीमा पॉलिसी पर टैक्स रियायतें तभी उपलब्ध हैं, जब प्रीमियम बीमित राशि के 20 फीसदी से कम नहीं हो। यह रोक सभी किस्म की पॉलिसी पर है। लेकिन सिंगल प्रीमियम पॉलिसी पर इसी नियम के कारण यह बाध्यता लागू है। यदि प्रीमियम की राशि बीमित धन के 20 फीसदी से ज्यादा हो तो कर रियायतों का लाभ 20 फीसदी तक ही सीमित रहेगा। पॉलिसी मेच्योर होने पर जो राशि मिलेगी, वह भी कर योग्य होगी।
सिंगल प्रीमियम पॉलिसी किसे लेनी चाहिए?
1. अगर आपके पास आमदनी का नियमित साधन नहीं है और आप हर साल प्रीमियम चुकाने की स्थिति में नहीं हैं।
2. अगर आप काफी यात्राएं करते हैं, तो इस पॉलिसी को ले सकते हैं, आपको तारीख याद रखने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी।
3. अगर आपके पास एकमुश्त बड़ी रकम उपलब्ध है तो आप ऐसी पॉलिसी से सकते हैं।
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