Income Tax Return फाइल करते समय इन बेनिफ‍िट्स का रखें ध्‍यान

यदि आप पुरानी व्यवस्था के तहत अपना इनकम टैक्स रिटर्न  (Income Tax Return) दाखिल करने की योजना बना रहे हैं, तो यह आपके फाइनेंस में गहराई से देखने के लिए भुगतान करेगा। ऐसे में आपको कुछ बेनिफ‍िट्स के बारे में ध्‍यान देने की जरुरत है। जोक‍ि‍ आपको टैक्‍स पर ज्‍यादा बचत कराते हैं।

बिजनेस डेस्‍क। मौजूदा असेसमेंट ईयर में नया ई-फाइलिंग पोर्टल (New E-Filing Portal) शुरू किया गया है। इसमें पहले से कई तरह की जान‍कारियां मौजूद रहती हैं। वहीं दूसरी ओर टैक्‍सपेयर्स कुछ टैक्स ब्रेक का क्‍लेम करने से भी चूक सकता है जो उसके फॉर्म 26एएस या वार्षिक सूचना विवरण पर नहीं दिख रही हो और आईटीआर फॉर्म (ITR Form) पर ऑटो-पॉप्युलेट ना हो रही हो। नई कर व्यवस्था ने 70 विषम कर कटौती और छूट को समाप्त कर दिया है। हालांकि, यदि आप पुरानी व्यवस्था के तहत अपना इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) दाखिल करने की योजना बना रहे हैं, तो यह पिछले वित्तीय वर्ष से आपके वित्त में गहराई से देखने और आपके लिए उपलब्ध कर लाभों को अधिकतम करने के लिए भुगतान करेगा। आज हम आपको ऐसे चार टैक्स ब्रेक बताने जा रहे हैं जो आपको अपने आईटीआर में अवश्य प्राप्त करना चाहिए।

बिना एचआरए के मकान किराए पर छूट
किराए के आवास में रहने वाले वेतनभोगी व्यक्ति अपने कर व्यय को कम करने के लिए अपने वेतन पैकेज में हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) कंपोनेंट का उपयोग कर सकते हैं। हालांकि, सभी नियोक्ता एचआरए की पेशकश नहीं करते हैं। यदि एचआरए सैलरी कंपोनेंट का हिस्‍सा नहीं है तो करदाता के पास आयकर अधिनियम की धारा 80जीजी के तहत किराए पर कटौती का दावा करने का ऑप्‍शन है।

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इंडसलॉ के पार्टनर रितेश कुमार के अनुसार धारा 80जीजी के तहत कटौती की मात्रा निम्न में से सबसे कम है: (ए) वास्तविक किराया भुगतान घटा करदाता की कुल आय का 10 फीसदी; (बी) 5,000 रुपए प्रति माह (सी) कुल आय का 25 फीसदी। टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज एलएलपी के पार्टनर विवेक जालान ने कहा कि कुछ शर्तें हैं जिनके तहत सेक्शन 80जीजी के तहत टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है। अगर एचआरए वेतन पैकेज का हिस्सा नहीं है, तो कोई किराए पर कटौती का दावा कर सकता है। इसके अलावा, करदाता के पास उसी शहर में घर नहीं होना चाहिए जहां वह किराए पर रह रहा है, और न ही करदाता के पति या पत्नी, नाबालिग बच्चे या एचयूएफ के नाम पर एक घर होना चाहिए, जिसका व्यक्ति शहर में सदस्य है। जहां उसका कार्यालय स्थित है या व्यवसाय कर रहा है।

सेविंग अकाउंट के ब्‍याज पर कटौती
बैंक, पोस्‍ट ऑफ‍िस या बैंकिंग व्यवसाय करने वाली सहकारी समिति के सेविंग अकाउंट पर अर्जित ब्याज को कुल आय में जोड़ा जाता है और स्लैब दरों पर टैक्‍स लगाया जाता है। करदाता आईटी अधिनियम की धारा 80टीटीए के तहत बचत खाते से ब्याज आय पर 10,000 रुपए तक की कटौती का दावा कर सकते हैं। एक बार जब आप अपने आईटीआर में एक वित्तीय वर्ष में अर्जित सभी ब्याज आय की रिपोर्ट करते हैं, तो आप उस पर 10,000 रुपए तक की कटौती का दावा कर सकते हैं। यदि कुल राशि सीमा से नीचे आती है, तो पूरी राशि कर-मुक्त होगी। ध्यान दें कि फिक्स्ड, रेकरिंग या सावधि जमा से ब्याज आय पर यह कटौती की अनुमति नहीं है।

अनइंश्‍योर्ड पेरेंट्स के मेडिकल बिल्‍स पर कटौती
पर्याप्त हेल्‍थ इंश्‍योरेंय खरीदने का महत्व कोविड-19 के दौर में समझ आया है। इंश्‍योरेंस न केवल हेल्‍थ इमरजेंसी से निपटने में मदद करता है बल्कि टैक्स में छूट भी देता है। यदि आपके पेरेंट्स सीनियर सिटीजंस हैं, जो इंश्‍योरेंस पॉलिसी के तहत कवर नहीं हैं, लेकिन वर्ष के दौरान चिकित्सा उपचार लिया है, तब भी आप उनके मेडिकल बिलों पर कटौती का दावा कर सकते हैं।

धारा 80डी 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के डिपेंडेंट पेरेंट्स के चिकित्सा उपचार पर खर्च की गई कुल राशि पर 50,000 रुपए तक की कटौती की अनुमति देता है। यहां तक कि सीनियर सिटीजंस पेरेंट्स के लिए मेड‍िसिन खरीदने पर खर्च किए गए पैसे पर भी कटौती का दावा किया जा सकता है। हालांकि करदाता को आईटीआर दाखिल करते समय बिल या रसीद प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है, उन्हें अपने पास सहायक लेनदेन दस्तावेज तैयार रखना चाहिए।

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दान पर कटौती
वर्ष 2020 में कई लोगों ने विभिन्न कोविड-19 राहत कोष में बड़ा दान दिया। हालांकि, कम ही लोग जानते हैं कि टैक्‍सपेयर दान पर टैक्‍स कटौती की पेशकश करके धर्मार्थ सेवाओं को पुरस्कृत करता है। अनुमत कटौती की डिग्री इस बात पर निर्भर करती है कि दान कहां किया गया है। केंद्र सरकार द्वारा समर्थित संस्थानों को दिया गया दान 100 फीसदी कटौती के लिए पात्र है, जबकि एक निजी संस्थान को दी गई कुल राशि का केवल 50 फीसदी ही दावा किया जा सकता है। कपड़े, राशन, दवाई आदि के रूप में किए गए दान पर कटौती का दावा नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, नकद दान का दावा 10,000 रुपए तक किया जा सकता है, बशर्ते दाता के पास दान को वापस करने के लिए रसीदें हों, जबकि अन्य सभी भुगतान विधियों के माध्यम से किए गए दान पूर्ण कटौती के लिए पात्र हैं। कटौती का दावा करने के लिए, डोनी का पैन भी देना होगा।

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