अब वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए ईपीएफओ मेंबर्स (EPFO Members) को 8.1 फीसदी ब्याज मिलेगा। वैसे यह पहले 8.5 फीसदी था। अब इसे मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय (Finance Minister) के पास भेजा जाएगा। इस खबर के आने के बाद कर्मचारियों ने अपना कैैलकुलेशन लगाना शुरू कर दिया होगा। ताकि उन्हें इस बात की जानकारी हासिल हो सके कि आखिर उन्हें ईपीएफ पर कितना ब्याज मिलेगा। वैसे 5 करोड़ से ज्यादा ईपीएफओ मेंबर्स को ईपीएफओ कैलकुलेशन (EPFO Calculation) की ज्यादा जानकारी नहीं होगी।
बिजनेस डेस्क। ईपीएफओ (EPFO) ने कर्मचारी भविष्य निधि ब्याज दर (Employees Provident Fund Interest Rate) को कम करने का फैसला ले लिया है। अब वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए ईपीएफओ मेंबर्स (EPFO Members) को 8.1 फीसदी ब्याज मिलेगा। वैसे यह पहले 8.5 फीसदी था। अब इसे मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय (Finance Minister) के पास भेजा जाएगा। इस खबर के आने के बाद कर्मचारियों ने अपना कैैलकुलेशन लगाना शुरू कर दिया होगा। ताकि उन्हें इस बात की जानकारी हासिल हो सके कि आखिर उन्हें ईपीएफ पर कितना ब्याज मिलेगा। वैसे 5 करोड़ से ज्यादा ईपीएफओ मेंबर्स को ईपीएफओ कैलकुलेशन (EPFO Calculation) की ज्यादा जानकारी नहीं होगी। इसका कारण भी है, क्योंकि कई लोग तो ऐसे होंगे जोकि हाल ही में ईपीएफओ के मेंबर बने होंगें। ऐसे में पहले इस बात को समझना काफी जरूरी है कि पीएफ फंड में जाने वाला रुपया आपकी सैलरी से कितना कटता है, उसमें इंप्लॉयर का हिस्सा कितना होता है और सबसे खास बात साल के अंत में पीएफ फंड में जमा हुए पैसे पर कितना ब्याज मिलता है।
पीएफ फंड में किसकी कितनी हिस्सेदारी
कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) एक रिटायर्मेंट प्लान है, जहां कर्मचारी हर महीने अपने बेसिक और महंगाई भत्ते का 12 फीसदी कंट्रीब्यूट करता है। वहीं कंपनी/ इंप्लॉयर भी कर्मचारी के अकाउंट में 12 फीसदी का ही कंट्रीब्यूट करता है, जिसका 8.33 फीसदी हिस्सा ईपीएस में और 3.67 फीसदी हिस्सा ईपीएफ में जाता है। इसका मतलब है कि ईपीएफ में कुल हिस्सा 15.67 फीसदी जमा होता है।
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समझें कैलकुलेशन (उदाहरण के लिए)
बेसिक सैलरी + महंगाई भत्ता = 15,000 रुपए प्रति माह
ईपीएफ में कर्मचारी का योगदान = 15,000 का 12 फीसदी (15000 X 12 / 100) = 1800 रुपए प्रति माह
ईपीएस में कंपनी का योगदान = 15,000 का 8.33 फीसदी (15000 X 8.33 / 100) = 1250 रुपए प्रति माह
कंपनी योगदान दो हिस्सों में बंटा होता है, एक हिस्सा पेंशन फंड यानी ईपीएस एवं दूसरा हिस्सा ईपीएफ में जाता है। हमने जैसे बताया है कि कंपनी के योगदान में ईपीएस का हिस्सा 8.33 फीसदी होता है। बाकी हिस्सा ईपीएफ में जाता है। यहां कंपनी के ईपीएफ का कंट्रीब्यूशन कितना होगा यहां कैलकुलेशन दिया गया है।
ईपीएफ में कंपनी का योगदान = कर्मचारी का योगदान - ईपीएस में कंपनी का योगदान = 550 रुपए प्रति माह
हर महीने कुल ईपीएफ योगदान = 1800 + 550 = 2350 रुपए प्रति माह
2021-2022 के लिए ब्याज दर 8.1 फीसदी है।
अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक कर्मचारी के खाते में कुल पीएफ जमा = 2350 X 12 = 28200 रुपए
8.50 फीसदी के हिसाब से मिलने वाला ब्याज कितना होगा = 28200 X 8.50 / 100 = 2397 रुपए
8.10 फीसदी के हिसाब से मिलने वाला ब्याज कितना होगा = 28200 X 8.10 / 100 = 2284.20 रुपए
कितना हुआ नुकसान = 8.50 फीसदी के हिसाब से मिलने वाला ब्याज - 8.10 फीसदी के हिसाब से मिलने वाला ब्याज = 112.80 रुपए
क्या निकला निष्कर्ष
इस पूरे कैैलकुलेशन से यही निष्कर्ष निकलता है कि ईपीएफ की ब्याज दरों पर मौजूदा फैसले से नुकसान होगा। यह नुकसान 15000 रुपए बेसिक पाने वालों को करीब 113 रुपए का होगा। जहां एक साल में ईपीएफ कंट्रीब्यूशन के हिसाब 2397 रुपए ब्याज मिल रहा था, वहीं 8.10 फीसदी के हिसाब से ब्याज 2284.20 रुपए मिलेगा।