सार
सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (Central Board of Trutees) ने 2021-22 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (FPFO) पर 8.1 फीसदी ब्याज दर प्रदान करने का निर्णय लिया है। आंकड़ों के अनुसार यह पीएफ दर (FPF Interest Rate) 1977-78 के बाद से सबसे कम है जब ईपीएफ ब्याज दर 8 फीसदी थी। इस फैसले का असर 5 करोड़ से ज्यादा ईपीएफओ मेंबर्स (EPFO Menbers) पर देखने को मिलेगा।
बिजनेस डेस्क। रिटायरमेंट फंड बॉडी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने शनिवार को 2021-22 के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज कम करने का फैसला किया। ईपीएफओ के शीर्ष निर्णय लेने वाली बॉडी सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (Central Board of Trutees) ने 2021-22 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (FPFO) पर 8.1 फीसदी ब्याज दर प्रदान करने का निर्णय लिया है। आंकड़ों के अनुसार यह पीएफ दर (FPF Interest Rate) 1977-78 के बाद से सबसे कम है जब ईपीएफ ब्याज दर 8 फीसदी थी। इस फैसले का असर 5 करोड़ से ज्यादा ईपीएफओं मेंबर्स (EPFO Menbers) पर देखने को मिलेगा।
प्रोविडेंट फंड पर ब्याज दरें कम
जानकारी के अनुसार सोर्स के हवाले से खबर आई है कि "कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने शनिवार को हुई अपनी बैठक में 2021-22 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर 8.1 फीसदी ब्याज दर प्रदान करने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने पिछले साल मार्च में 2020-21 के लिए ईपीएफ जमा पर 8.5 फीसदी ब्याज दर तय की थी। अक्टूबर 2021 में वित्त मंत्रालय द्वारा इसकी पुष्टि की गई और उसके बाद, ईपीएफओ ने फील्ड कार्यालयों को 2020-21 के लिए ग्राहकों के खाते में ब्याज आय को 8.5 फीसदी पर जमा करने के निर्देश जारी किए।
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आखिरी बार कब घटी थी दरें
अब सीबीटी के फैसले के बाद 2021-22 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज दर वित्त मंत्रालय को सहमति के लिए भेजी जाएगी। ईपीएफओ सरकार द्वारा वित्त मंत्रालय के माध्यम से इसकी पुष्टि करने के बाद ही ब्याज दर प्रदान करता है। मार्च 2020 में, ईपीएफओ ने भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर को 2018-19 के लिए प्रदान किए गए 8.65 फीसदी से 2019-20 के लिए सात साल के निचले स्तर 8.5 फीसदी तक कम कर दिया था।
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कब कितनी थी ब्याज दर
2019-20 के लिए प्रदान की गई ईपीएफ ब्याज दर 2012-13 के बाद से सबसे कम थी, जब इसे घटाकर 8.5 फीसदी कर दिया गया था। ईपीएफओ ने 2016-17 में अपने ग्राहकों को 8.65 फीसदी और 2017-18 में 8.55 फीसदी ब्याज दर मुहैया कराई थी। 2015-16 में ब्याज दर 8.8 फीसदी से थोड़ी अधिक थी। इसने 2013-14 के साथ-साथ 2014-15 में भी 8.75 फीसदी ब्याज दिया था, जो 2012-13 के 8.5 फीसदी से अधिक है। 2011-12 में ब्याज दर 8.25 फीसदी थी।
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5 करोड़ से ज्यादा पीएफ अकाउंट होल्डर्स पर पड़ेगा असर
इस फैसले का असर देश के 6 करोड़ से ज्यादा पीएफ अकाउंट होल्डर्स पर असर पड़ेगा। फरवरी में आए आंकड़ों के अनुसार ईपीएफओ ने दिसंबर 2021 में वास्तविक आधार पर 14.6 लाख सदस्य बनाए थे, जो एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 16.4 फीसदी ज्यादा हैं। ईपीएफओ ने दिसंबर 2020 के दौरान वास्तविक आधार पर 12.54 लाख सदस्य बनाए थे। श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2021 के मुकाबले दिसंबर 2021 में वास्तविक आधार पर ग्राहकों की संख्या में 19.98 फीसदी की वृद्धि हुई थी।