जोमैटो (Zomato) और ऑनलाइन ग्रॉसर ब्लिंकिट (Blinkit) ने आपस में मर्जर का ऐलान किया है। यह समझौता पूरी तरह शेयर्स पर बेस्ड होगा। यह डील ब्लिंकिट की लास्ट टाइम वैल्युएशन (Valuation) से कम है। ये लगभग 70 करोड़ डॉलर पर होने का अनुमान है
बिजनेस डेस्क। ग्राहकों के लिए बड़ी राहत भरी खबर है। अब एक ही डिलिवरी ब्याय आपके पास फूड (Food Delivery) भी पहुंचाएगा और किराना (Grocery Delivery) सहित अन्य जरुरत का सामान भी लेकर आएगा। जोमैटो (Zomato) और ऑनलाइन ग्रॉसर ब्लिंकिट (Blinkit) ने आपस में मर्जर का ऐलान किया है। मीडिया रिपोर्टस की मानें तो जोमैटो और ब्लिंकिट ने मर्जर के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। वहीं दोनों कंपनियां अब वैधानिक स्वीकृति के लिए CCI में रजिस्ट्रेशन करेंगे।
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70 करोड़ डॉलर के समझौते का अनुमान
यह समझौता पूरी तरह शेयर्स पर बेस्ड होगा। यह समझौता ब्लिंकिट की लास्ट टाइम वैल्युएशन (Valuation) से कम है। ये लगभग 70 करोड़ डॉलर पर होने का अनुमान है। सूत्रों की मानें तो 'सॉफ्टबैंक और टाइगर ग्लोबल जैसे ब्लिंकिट शेयरधारकों को जोमैटो के लिक्विड लिस्टेड शेयर दिए जाएंगे। बता दें कि दिसंबर 2021 में ऑनलाइन डिलीवरी कंपनी ग्रोफर्स (online delivery company grofers) का नाम बदल कर ब्लिंकिट हो गया है।
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जोमैटो ने जाहिर कर दिए थे इरादे
जोमैटो ने इस डील की नींव पहले ही रख दी थी, दरअसल जोमैटो लागातार इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। बीते साल जुलाई में जोमैटो ने आईपीओ लॉन्च करने से पहले ब्लिंकिट में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। इसके बाद में जब ब्लिंकिट ने जब कर्मचारियों की छंटनी करने शुरू की थी तो वेंडरों के भुगतान में देरी हुई थी, इससे पता चल गया था कि कैश की तंगी से जूझ रही ब्लिंकिट को जोमैटो कर्ज देने जा रहा है।
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निवेशकों का घट रहा था विश्वास
ब्लिंकिट (ग्रोफर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित) किराने के सामान की 10 मिनट की डिलीवरी को बनाए रखने के लिए कड़ा संघर्ष कर रहा है। एक साल से भी कम समय में यूनिकॉर्न टैग का नुकसान भी कैश-गोज़िंग क्विक-कॉमर्स स्टार्टअप्स के निवेशकों को हतोत्साहित कर रहा था। इस वजह से कंपनी को व्यवसाय जारी रखने में तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था।
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