1 अप्रैल से ऑफिस के होंगे 12 घंटे, जानें पीएफ और रिटायरमेंट के नियमों में मोदी सरकार क्या करने जा रही है बदलाव

मोदी सरकार (Modi Government) कर्मचारियों के कामकाज के घंटों, पीएफ, ग्रैच्युटी और रिटायरमेंट से संबंधित नियमों में 1 अप्रैल से बड़ा बदलाव करने जा रही है। अब कर्मचारियों के काम के 12 घंटे होंगे।

Asianet News Hindi | Published : Jan 11, 2021 10:47 AM IST

बिजनेस डेस्क। मोदी सरकार (Modi Government) कर्मचारियों के कामकाज के घंटों, पीएफ, ग्रैच्युटी और रिटायरमेंट से संबंधित नियमों में 1 अप्रैल से बड़ा बदलाव करने जा रही है। अब कर्मचारियों के काम के 12 घंटे होंगे। कर्मचारियों के ग्रैच्युटी और भविष्य निधि (PF) मद में बढ़ोतरी होगी, वहीं वेतन के तौर पर मिलने वाला पैसा (Take Home Salary) घटेगा। नियमों में जो बदलाव किए जा रहे हैं, उनसे कंपिनयों की बैलेंस शीट भी प्रभावित हो सकती है। बता दें कि पिछले साल संसद में पास किए गए मजदूरी संबंधी 3 विधेयक (Code on Wages Bill) के इस साल 1 अप्रैल से लागू होने की संभावना है। इन विधेयकों के मुताबिक, वेज यानी मजदूरी के तहत भत्ते कुल वेतनमान का अधिकतम 50 फीसदी होंगे। इससे जाहिर है कि मूल वेतन (सरकारी नौकरियों में मूल वेतन और महंगाई भत्ता) अप्रैल से कुल वेतन का 50 फीसदी या ज्यादा होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि देश के 73 साल के इतिहास में पहली बार श्रम कानूनों में इस तरह के बदलाव किए जा रहे हैं। सरकार का कहना है कि ये कानून नियोक्ता और श्रमिक, दोनों के लिए बेहतर साबित होंगे।

वेतन घटेगा और पीएफ बढ़ेगा
नए ड्राफ्ट रूल के मुताबिक, मूल वेतन कुल वेतन का 50 फीसदी या ज्यादा होना चाहिए। इससे ज्यादातर कर्मचारियों का सैलरी स्ट्रक्चर बदल जाएगा, क्योंकि वेतन का गैर-भत्ते वाला हिस्सा आमतौर पर कुल सैलरी का 50 फीसदी से कम होता है। मूल वेतन बढ़ने से पीएफ भी बढ़ेगा। पीएफ मूल वेतन पर आधारित होता है। पीएफ बढ़ने से हाथ में मिलने वाले वेतन की राशि (Take Home Salary) में कटौती होगी।

रिटायरमेंट के बाद मिलेगा ज्यादा पैसा
ग्रैच्युटी और पीएफ में योगदान बढ़ने से रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि में बढ़ोत्तरी होगी। ज्यादा वेतन पाने वाले अधिकारियों के सैलरी स्ट्रक्चर में सबसे ज्यादा बदलाव आएगा और इससे वे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। पीएफ और ग्रैच्युटी बढ़ने से कंपनियों की लागत में भी बढ़ोत्तरी होगी। इसकी वजह यह है कि उन्हें कर्मचारियों के लिए पीएफ में ज्यादा योगदान करना पड़ेगा। इन सब बातों से कंपनियों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होगी।

काम के घंटे 12 करने का प्रस्ताव
नए कानून में काम के समय को बढ़ाकर 12 घंटे करने का प्रस्ताव रखा गया है। नए नियमों में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त काम को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान है। मौजूदा नियम में 30 मिनट से कम समय के काम को ओवरटाइम में नहीं माना जाता है। ड्राफ्ट नियमों के मुताबिक, किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से ज्यादा लगातार काम नहीं लिया जा सकता है। कर्मचारियों को हर 5 घंटे के बाद आधा घंटे का रेस्ट देने का निर्देश ड्राफ्ट नियमों में शामिल है।

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