घर, जमीन, दफ्तर और हेलीपैड सब सील, अब क्या करेंगे अनिल अंबानी?

Published : Nov 03, 2025, 06:43 PM IST
Anil Ambani ED Action

सार

Anil Ambani Property Seized: ईडी ने अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़ी 40 से ज्यादा प्रॉपर्टीज अटैच कर दी हैं, जिनकी कुल वैल्यू 3,084 करोड़ रुपए बताई जा रही है। इनमें मुंबई का आलीशान पाली हिल वाला घर 'अबोड' भी शामिल है। 

Anil Ambani ED Action: कभी भारत के सबसे अमीर लोगों में शुमार रहे अनिल अंबानी मुश्किलों में हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके रिलायंस ग्रुप से जुड़ी 40 से ज्यादा प्रॉपर्टीज अटैच कर दी हैं। इनमें मुंबई के पाली हिल में बना उनका आलीशान घर 'अबोड' भी शामिल है, जिसकी गिनती शहर के सबसे लग्जरी रेसिडेंस में होती है। ED का कहना है कि ये कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग और फंड डायवर्जन केस से जुड़ी है। ED ने बताया कि ये अटैचमेंट PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) की धारा 5(1) के तहत हुआ है। कुल 3,084 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टीज को जब्त किया गया है। इनमें दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, पुणे, नोएडा, गाजियाबाद और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों की जमीनें, ऑफिस और घर शामिल हैं।

अनिल अंबानी का 'अबोड' कितना आलीशान है?

मुंबई के पाली हिल में स्थित अनिल अंबानी का घर 'अबोड' हमेशा चर्चा में रहा है। यह करीब 66 मीटर ऊंचा है और इसमें हेलीपैड, जिम, स्विमिंग पूल, लाउंज और रोल्स रॉयस, लेक्सस, पोर्शे जैसे कार कलेक्शन और डिस्प्ले एरिया जैसी लग्जरी सुविधाएं हैं। कहा जाता है कि अनिल अंबानी इसे 150 मीटर ऊंचा बनाना चाहते थे, लेकिन परमिशन नहीं मिली थी।

यस बैंक लोन केस में कैसे फंसे अनिल अंबानी?

ED की जांच में सामने आया कि 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने रिलायंस ग्रुप की कंपनियों को करीब 3,000 करोड़ रुपए का लोन दिया, लेकिन ये पैसे आगे ग्रुप की दूसरी कंपनियों और फर्जी एंटिटीज में ट्रांसफर कर दिए गए। ईडी के मुताबिक, रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस (RCFL) को यस बैंक से जो फंड मिले, वो आगे सही जगह नहीं गए। जांच में पता चला कि कुछ लोन एक ही दिन में अप्लाई, अप्रूव और रिलीज हो गए। इसमें फील्ड वेरिफिकेशन नहीं हुआ। कंपनियों के डॉक्यूमेंट्स ब्लैंक या फर्जी मिले। ईडी ने इसे 'इंटेंशनल कंट्रोल फेल्योर' बताया यानी ऐसा जानबूझकर किया गया ताकि पैसा ट्रैक न हो सके।

ED की जांच में क्या-क्या नया निकला है?

ED ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रिलायंस ग्रुप की कुछ कंपनियों ने फर्जी कंपनियों को लोन ट्रांसफर किए, एक ही एड्रेस और डायरेक्टर वाली कई कंपनियां बनाई गईं और नए लोन लेकर पुराने लोन चुकाने (लोन एवरग्रीनिंग) का गेम खेला। इन सभी गतिविधियों को मनी लॉन्ड्रिंग की श्रेणी में रखा गया है। ईडी अब इन कंपनियों से जुड़ी बाकी प्रॉपर्टीज का भी ब्योरा जुटा रही है।

CBI भी कर चुकी है FIR

ED से पहले CBI भी इस केस में दो FIR दर्ज कर चुकी है। इनमें यस बैंक के पूर्व CEO राणा कपूर और रिलायंस ग्रुप के कई अधिकारी आरोपी बनाए गए। सीबीआई और ईडी दोनों एजेंसियां अब साथ मिलकर काम कर रही हैं ताकि पब्लिक मनी की रिकवरी हो सके।

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