कोबरापोस्ट के आरोपों के बाद गुरुवार को अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस ग्रुप के शेयर लाल निशान पर कारोबार कर रहे हैं। दोनों कंपनियों के शेयर 52 वीक हाई से काफी नीचे हैं। साथ ही इनके मार्केट कैप में भी गिरावट देखने को मिल रही है। 

Anil Ambani Reliance Group Stock Price Today: ऑनलाइन पोर्टल कोबरापोस्ट ने 30 अक्टूबर को अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप के खिलाफ 28,874 करोड़ की कथित धोखाधड़ी का खुलासा करने की बात कही है। इसके लिए उसने तमाम पत्रकारों को इन्विटेशन देकर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। हालांकि, रिलायंस समूह ने कोबरापोस्ट के इस एक्शन को दुर्भावनापूर्ण और गलत इरादे से की जाने वाली कार्रवाई बताया है। वहीं, गुरुवार को इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले अनिल अंबानी की कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी जा रही है।

रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर में 1.5% प्रतिशत की गिरावट

अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर का शेयर सुबह साढ़े 11 बजे तक 1.64% की गिरावट के साथ 214 के लेवल पर कारोबार कर रहा था। एक समय तो स्टॉक 211 रुपए के स्तर तक टूट गया था। वहीं, ऊपर के लेवल पर इसने 218 का स्तर छुआ। इस शेयर का 52 वीक हाइएस्ट लेवल 423.40 रुपए है, जबकि एक साल का निचला स्तर 198.13 रुपए है। कंपनी का मार्केट कैप फिलहाल 8,516 करोड़ रुपए के आसपास है।

रिलायंस पावर कितना टूटा?

रिलायंस पावर में भी 0.70% की गिरावट देखने को मिल रही है। सुबह साढ़े 11 के आसपास स्टॉक 46 रुपए के लेवल पर कारोबार कर रहा था। इंट्रा डे की बात करें तो एक समय यह 45.60 के निचले लेवल तक पहुंच गया था। वहीं ऊपर की ओर इसने 47.75 रुपए का हाइएस्ट लेवल छुआ। स्टॉक का 52 वीक हाइएस्ट लेवल 76.49 रुपए, जबकि लो 31.27 रुपए है। फिलहाल कंपनी का मार्केट कैप 19,020 करोड़ रुपए के आसपास है।

क्या है पूरा मामला?

कोबरा पोस्ट पोर्टल ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह के खिलाफ 28,874 करोड़ रुपए के हेरफेर का आरोप लगाया है। इस कथित धोखाधड़ी से जुड़े और अधिक खुलासे के लिए उसने 30 अक्टूबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी रखी है। वहीं रिलायंस ग्रुप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही एक बयान में कहा है कि कुछ कॉर्पोरेट प्रतिद्वंद्वी उसकी छवि खराब करने के लिए झूठी खबरें फैला रहे हैं। रिलायंस ग्रुप ने अपने निवेशकों और मीडिया से आग्रह किया है कि वे बिना वेरिफाइड और एजेंडा वाले कंटेंट पर भरोसा करने से पहले ऑडिट किए गए वित्तीय खुलासों और रेगुलेटरी फाइलिंग पर यकीन करें।