गुजरात के कच्छ में स्थित माधापार गांव, अपनी समृद्धि और उच्च जीवन स्तर के लिए जाना जाता है। यह गांव अपने निवासियों द्वारा बैंकों में जमा की गई भारी धनराशि के कारण एशिया का सबसे अमीर गांव माना जाता है।
Asia Richest Village Madhapar: भारत में दशकों से यह सुना जा रहा है कि गांव विरान हो रहे और शहर आबाद हो रहे। गरीबी और बेरोजगारी से निजात पाने के लिए युवा शहरों की ओर रूख कर रहे लेकिन भारत में एक ऐसा गांव है जहां देश के टॉप बैंकों में अपनी शाखाएं खोलने के लिए होड़ मची है। एशिया के सबसे अमीर इस गांव में अकेले 7000 करोड़ रुपये की फिक्स डिपाजिट गांव के लोगों ने कर रखी है।
गुजरात में कच्छ का रण एक ऐसी जगह है जिससे देश ही नहीं दुनिया भी वाकिफ है। लेकिन इस इलाके का एक गांव इन दिनों सुर्खियों में है। यह गांव अपनी समृद्धि और जमीन से जुड़े लोगों की वजह से फेमस है। 32 हजार की आबादी वाला माधापार गांव, कच्छ जिला का एक सामान्य गांव कभी हुआ करता था। लेकिन भुज के बाहरी इलाका में स्थित इस गांव को यहां के लोगों ने एशिया का सबसे अमीर गांव बना दिया। इस गांव में करीब 8 हजार मकान हैं।
कैसे बना यह गांव एशिया का सबसे अमीर गांव?
दरअसल, अन्य गांवों की तरह यहां भी कुछ दशक पहले काफी बेरोजगारी हुआ करती थी। पटेल बाहुल्य इस गांव के लोग व्यवसाय पर निर्भर हैं। करीब 30-32 हजार की आबादी वाले इस गांव के काफी लोग विदेशों में रोजगार या व्यवसाय की तलाश में विदेश गए। कुछ वहां बस गए और उनका व्यवसाय काफी चल निकला। लेकिन इन लोगों ने अपने गांव से नाता नहीं तोड़ा। गांव के लोग बताते हैं कि इस गांव का कोई भी व्यक्ति दुनिया या देश के किसी भी कोने में गया हो लेकिन वह अपने गांव से जुड़ने की कोशिश जरूर करता है। यहां के डाकघर या बैंक में उसके अपने या परिवार के अकाउंट हैं। वह अपनी सेविंग्स का काफी हिस्सा यहां गांव के ही बैंकों में रखता है। बैंकों के गांव में खुलने से तमाम तरह के विकास कार्य यहां इस गांव में हुए। रोजगार के अवसर उपलब्ध हुए। अब यह गांव शहरों से अपना कंपटीशन करता है।
17 बैंकों के ब्रांच यहां अभी तक खुले
माधापार गांव में 17 बैंकों के ब्रांच हैं। यहां एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, एसबीआई, पीएनबी, एक्सिस बैंक, यूनियन बैंक सहित सभी प्रमुख बैंकों के ब्रांच हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, गांव में खुले बैंकों के ब्रांच में यहां के लोगों ने 7000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि एफडी करा रखी है। गांव में खुले इन बैंकों का सालाना व्यवसाय कई मेट्रो शहरों के बैंकों से कई गुना अधिक है। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो यहां औसत एक व्यक्ति ने 15-20 लाख रुपये एफडी कराया है।
1200 परिवार यहां एनआरआई
कच्छ जिला के माधापार गांव में करीब 1200 एनआरआई परिवार हैं। इसमें अधिकतर अफ्रीकी देशों में हैं। इस गांव के तमाम एनआरआई लोगों का सेंट्रल अफ्रीका में कंस्ट्रक्शन बिजनेस में काफी दबदबा है।यहां कई दर्जन बड़े उद्योगपति हैं। तमाम परिवार यहां के यूके, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और न्यूजीलैंड में भी रहते हैं।
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