Siddhivinayak Temple : इस गणपति मंदिर में आता है इतना दान कि भरपेट भोजन कर ले पूरी मुंबई

Published : Sep 02, 2023, 06:27 PM IST
Siddhivinayak Temple

सार

भगवान गणेश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक सिद्धिविनायक में गणेश उत्सव की धूम रहती है। इस दौरान बप्पा की भक्ति में सराबोर होने देश-विदेश से बड़े-बड़े सेलिब्रिटी भी पहुंचते हैं। 

बिजनेस डेस्क : 19 सितंबर से देशभर में गणेशोत्सव (Ganeshotsav 2023) की शुरुआत हो जाएगी। इसकी तैयारियां चल रही हैं। 10 दिनों तक यानी 28 सितंबरतक पूरा देश बप्पा की भक्ति में डूब जाएगा। गणेश उत्सव का नाम आते ही सबसे पहला नाम मुंबई का आता है, जहां का सेलिब्रेशन देखने लायक ही होता है। लाल बाग के राजा के बाद सबसे ज्यादा चर्चा सिद्धिविनायक मंदिर (Siddhivinayak Temple) के उत्सव की रहती है। भगवान गणेश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक सिद्धिविनायक में गणेश उत्सव के दौरान दर्शन करने देश-विदेश से बड़े-बड़े सेलिब्रिटी भी पहुंचते हैं। मुंबईवासी इस मंदिर में विराजमान गणेश जी को प्यार से नवसाचा गणपति या नवसाला पावणारा गणपति भी बुलाते हैं।

एक महिला ने कराया था मंदिर का निर्माण

मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 19 नवंबर 1801 में हुआ था। कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में लगी धनराशि एक किसान महिला ने दी थी। उस महिला को कोई संतान नहीं थी। वह चाहती थी कि जो भी इस मंदिर में पूरी भक्ति और श्रद्धा से आए, बप्पा उसे संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दें, ताकि कोई भी महिला बिना संतान न रहे।

सिद्धिविनायक मंदिर में बप्पा की खास प्रतिमा

सिद्धिविनायक मंदिर में गणपति की खास प्रतिमा विराजमान है। भगवान गणेश जी की सूंड दाईं तरफ है। जबकि ज्यादातर मूर्तियों में गणपति की सूंड बाईं ओर होती है। गणेश जी की इस प्रतिमा को काले पत्थर से तराशा गया है। यह 2.5 फीट ऊंची और दो फीट चौड़ी है। इस मंदिर में भगवान सिद्धिविनायक दोनों पत्नियां रिद्धि और सिद्धि के विराजमान हैं।

करोड़ों में आता है दान

सिद्धिविनायक मंदिर काफी फेमस है। देश-विदेश से तमाम सेलिब्रिटी से लेकर देश का आम आदमी तक यहां दर्शन के लिए आते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक, हर दिन करीब 25 हजार श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने आते हैं। देश के उन मंदिरों में इसकी गिनती होती है, जहां करोड़ों की दान-दक्षिणा आती है। यह देश के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मंदिर में सालाना करीब 75 करोड़ से 125 करोड़ तक दान आ जाता है। कहा यह भी जाता है कि यहां जितना चढ़ावा चढ़ता है, उससे पूरी मुंबई को भरपेट भोजन करवाया जा सकता है। ऐसे भक्त जिनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, वे यहां गुप्तदान करके चले जाते हैं।

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