लॉस में चल रही बायजू कंपनी के पास राइट इश्यू का ऑफर है लेकिन कंपनी फिलहाल ऐसा करने से इनकार कर रही है। राइट इश्यू क्या होता है और कैसे इसके जरिए बायजू को कुछ समय मिल सकता है जानें।
बिजनेस डेस्क। बायजू कंपनी इन दिनों काफी समस्याओं के दौर से गुजर रही है। कंपनी को भारी नुकसान के कारण बंदी की कगार पर है। ऐसे में एनसीएलटी ने बायजू को राइट इश्यू को बंद कर करने का विकल्प दिया है। हांलाकिं बायजू सूत्रों की माने तो कंपनी इस पर फिलहाल विचार नहीं करना चाहती है।
कंपनी के लॉस में जाने से नाराज इनवेस्टर्स ने बताया है कि कंपनी को बंद होने से रोकने के सामने कई सारे टेक्निकल इश्यू हैं। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की बेंगलुरू बेंच ने कहा है कि राइट इश्यू से कंपनी को मिलने वाली 1657 करोड़ रुपये की राशि को किसी एस्क्रो अका (स्पेशल अकाउंट) में डाल दें और मैटर सॉल्व होने तक उसे उसी अकाउंट में पड़ा रहने दें। बायजू मामले में अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होनी है।
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जानें राइट इश्यू का मतलब
राइट इश्यू भी इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) की तरह ही होता है। इसमें सिर्फ पुराने इनवेस्टर्स को ही शेयर ऑफर किए जाते हैं। इसमें शेयर्स पर डिस्काउंट भी ऑफर किए जाते हैं। राइट इश्यू में शेयर्स स्टॉक एक्सचेंज के जरिए नहीं कंपनी डायरेक्ट बेचती है ताकि तेजी से धनराशि जुटाई जा सके। इसमें लीगल फॉर्मेलिटीज भी कम होती हैं।
राइट इश्यू के जरिए मार्केट से पैसे उठाती है कंपनी
अक्सर जो कंपनियां लॉस में चलती रहती हैं वह अपनी स्थिति सुधारने के लिए राइट इश्यू के जरिए मार्केट से पैसे उठाती हैं। इन पैसों से वह अपने कर्ज चुकाने के साथ कंपनी को चलाने में भी इसका प्रयोग करती हैं। कई बार राइट इश्यू कंपनी को दोबार खड़ी करने में मददगार साबित होती है।