कांग्रेस के सत्ता में रहने के दौरान फरवरी 2014 में पी चिदम्बरम ने अंतरिम बजट पेश किया था। उस वक्त घाटा कम दिखाने के लिए सब्सिडी को अगले साल के लिए टाल दिया गया था।
नई दिल्ली। भाजपा को केंद्र की सत्ता में आए 10 साल हुए हैं। 2024-25 का अंतरिम बजट मोदी सरकार का 10वां बजट है। ऐसे में आइए नजर डालते हैं कि कांग्रेस शासनकाल के दौरान 2014-15 के अंतरिम बजट से मोदी सरकार के 2024-25 का अंतरिम बजट कितना अलग है।
फरवरी 2014 में पी चिदम्बरम ने अंतरिम बजट पेश किया था। सरकार ने घाटा कम दिखाने के लिए तेल और उर्वरकों पर दी जाने वाली 35,000 करोड़ की सब्सिडी को अगले साल के लिए टाल दिया था। इससे तेल और उर्वरक क्षेत्र की कंपनियों का नकदी प्रवाह प्रभावित हुआ था। सरकार ने 80 हजार करोड़ रुपए के घाटा को मैनेज करने के लिए योजना व्यय में कमी की थी।
इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण और अन्य काम में लगी कंपनियों को होने वाले सरकारी भुगतान को रोका गया था। इसका असर विकास की रफ्तार कम होने के रूप में दिखा। जनवरी से मार्च 2014 तक मात्र 8,000 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे, जबकि सामान्य स्थिति में इस दौरान 85 हजार करोड़ रुपए खर्च होते। 2005 से 2014 के बीच सरकार का कैपिटल एक्सपेंडिचर (पूंजीगत व्यय) 23% से घटकर 14% हो गया था। इससे देश में बेरोजगारी बढ़ी थी।
मोदी सरकार ने कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ाया
फरवरी 2024 के अंतरिम बजट में राजकोषीय घाटा कम करने के लिए कोई भुगतान नहीं रोका गया है। कैपिटल एक्सपेंडिचर को भी कम नहीं किया गया है। बल्कि, इसे बढ़ाया गया है। सरकार अपने खर्च पूरे करने के साथ ही राजकोषीय घाटे को कम करने की कोशिश भी कर रही है।
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कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ाकर एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया गया है। ओवरऑल कैपिटल एक्सपेंडिचर 15 लाख रुपए किया जाना है। सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 11.11 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। महंगाई कंट्रोल में है। मोदी सरकार के 10 साल के दौरान तेज आर्थिक विकास के साथ ही रोजगार के भी अवसर बढ़े हैं।
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