
Credit Card Late Payment Tricks: क्रेडिट कार्ड आज हर किसी की लाइफस्टाइल में शामिल है। हर बड़ी शॉपिंग में ज्यादातर लोग इसका इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अगर समय पर बिल नहीं भरते हैं और बिल भरने की तारीख निकल जाती है, बैंक का लेट फी लगना शुरू हो जाता है। कई लोग सोचते हैं कि सिर्फ 1-2 दिन लेट हुआ तो क्या ही फर्क पड़ेगा? लेकिन यहीं से नुकसान शुरू होता है। क्रेडिट कार्ड में लेट पेमेंट सिर्फ एक चार्ज नहीं होता है। इसके साथ कई और भी छुपे हुए नुकसान जुड़ जाते हैं। इस आर्टिकल में जानिए लेट फी कैसे लगती है, बैंक का इंटरेस्ट ट्रैप क्या है और इससे बचने के स्मार्ट तरीके क्या हैं...
1. लेट फीस
अगर बिल ड्यू डेट पर नहीं भरा तो बैंक तुरंत लेट फीस लगा देते हैं। ज्यादातर बैंक 500-1500 रुपए तक चार्ज करते हैं, जो आपकी बकाया राशि पर निर्भर करता है। हालांकि, RBI ने लेट फीस चार्ज को लेकर कुछ नियम आसान बनाए हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़े। बैंक अब लेट फीस चार्ज से पहले कस्टमर को साफ-साफ जानकारी देंगे और फीस में किसी भी बदलाव की जानकारी महीनेभर पहले देनी होगी।
2. पूरा बकाया इंटरेस्ट पर चला जाता है
यह क्रेडिट कार्ड यूजर्स के लिए सबसे बड़ा झटका माना जाता है। लेट होने पर आपका पूरा बकाया 36-49% तक सालाना ब्याज पर जाता है। मतलब, 10,000 रुपए के बिल पर 40% सालाना इंटरेस्ट लग सकता है यानी हर दिन करीब 11-12 रुपए का नुकसान।
3. ग्रेस पीरियड खत्म
अगली शॉपिंग पर आपको मिलने वाला इंटरेस्ट-फ्री पीरियड खत्म हो जाता है। अब कार्ड से की गई हर खरीदारी पर उसी दिन से इंटरेस्ट लगना शुरू हो जाता है। रिजर्व बैंक ने कार्ड होल्डर्स को पेमेंट के बाद कम से कम 3 दिनों का ग्रेस पीरियड भी मिलेगा, जिसके अंदर पेमेंट करने पर लेट फीस नहीं लगेगी।
4. क्रेडिट स्कोर डाउन
एक बार लेट रिपोर्ट हो गया तो आपका सिबिल स्कोर (CIBIL Score) 50-100 पॉइंट्स तक गिर सकता है। इसका असर आपके भविष्य के लोन, होम लोन, कार लोन और लिमिट बढ़ने पर पड़ सकता है।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए अगर आपका बिल 15,000 रुपए है और आपने समय पर नहीं भरा तो लेट फीस 1000 रुपए, फाइनेंस चार्जेस 450-600 रुपए मंथली, GST लग सकता है। इस तरह से एक महीने में कुल नुकसान 1500-1800 रुपए तक हो सकता है। अगर 3-4 महीने लेट हुए तो नुकसान 5,000 रुपए से भी ज्यादा हो सकता है।
1. मिनिमम पेमेंट तुरंत भर दें
यह तरीका अच्छा नहीं माना जाता, लेकिन काफी चार्ज से बच सकते हैं। मिनिमम पेमेंट भरने से लेट फी नहीं लगेगी, लेकिन आपका इंटरेस्ट चलता रहेगा और यह भी ध्यान रखें कि फुल पेमेंट में किसी तरह की कोई कमी नहीं आएगी। इसका फायदा सिर्फ इतना होगा कि सिबिल स्कोर गिरने से बच जाएगा।
2. ड्यू डेट रिमाइंडर सेट करें
गूगल कैलेंडर, फोन अलार्म या बैंक ऐप में ऑटो रिमाइंडर लगा दें। ज्यादातर लोगों के लिए लेट पेमेंट सिर्फ भूलने से होती है। इससे आप काफी चार्ज से बच सकते हैं और पैसे भी बचा सकते हैं।
3. ऑटो-डेबिट एक्टिवेट कर दें
एक बार ऑटो-डेबिट सेट कर दिया तो हर महीने पेमेंट अपने आप ही कटेगा। ओवरड्राफ्ट का डर हो तो सिर्फ 'मिनिमम अमाउंट ड्यू' का ऑटो-डेबिट ऑप्शन चुन सकते हैं।
4. बिल पेमेंट को तोड़ दें यानी स्मार्ट स्प्लिट तरीका
अगर आप अपना पूरा पैसा नहीं भर पा रहे हैं तो उसे दो हिस्सों में भर सकते हैं। आधा कुछ दिन पहले और आधार 5-7 दिन बाद भर सकते हैं। इससे लेट फीस कम होगी और इंटरेस्ट रेट भी घटेगा।
5. EMI कंवर्जन चुनें
अगर आपका बिल ज्यादा हो गया है तो उसे EMI में बदल सकते हैं। इससे इंटरेस्ट कम लगेगा और लेट पेमेंट की नौबत भी नहीं आएगी।
6. रिडीम रिवॉर्ड पॉइंट्स या कैशबैक
कई कार्ड्स में 500-2000 रुपए तक के रिवार्ड प्वॉइंट होते हैं। उन्हें बिल पेमेंट में इस्तेमाल करें। इससे काफी फायदा मिल सकता है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी सिर्फ सामान्य फाइनेंशियल एजुकेशन के लिए है। यह किसी भी तरह की फाइनेंशियल, क्रेडिट या लोन सलाह नहीं है। क्रेडिट कार्ड से जुड़े लेट पेमेंट, इंटरेस्ट, चार्जेज या EMI कन्वर्जन जैसे फैसले लेने से पहले अपने बैंक, कार्ड इश्यूअर या फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लें। हर बैंक की पॉलिसी अलग होती है और चार्जेज आपकी कार्ड टाइप, यूसेज और पेमेंट हिस्ट्री पर निर्भर कर सकते हैं। इसलिए किसी भी स्टेप से पहले पूरी जानकारी जांचना जरूरी है।
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