
Single vs Multiple FD: पैसा कमाना जितना जरूरी है, उसे सही जगह निवेश करना उतना ही अहम है। सिर्फ सेविंग अकाउंट में पैसा रखना अब न तो महंगाई को मात दे सकता है और न ही भविष्य को पूरी तरह सुरक्षित बना सकता है। मजबूत फाइनेंशियल बैकअप के लिए जरूरी है कि निवेश आपके लक्ष्य, जोखिम क्षमता और टाइम पीरियड के अनुसार हो। शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, PPF और सरकारी योजनाओं जैसे कई विकल्प मौजूद हैं, लेकिन इसके बावजूद बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) आज भी देश में सबसे भरोसेमंद निवेश विकल्पों में गिनी जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर आपके पास 5 लाख रुपए है, तो एक एफडी खुलवाएं या कई एफडी अकाउंट्स में इन पैसों को रखें? जानिए क्या कहते हैं फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स...
भारत में FD को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इसमें रिटर्न फिक्स होता है, बाजार के उतार-चढ़ाव का असर नहीं पड़ता, बैंक और NBFCs 7 दिन से लेकर 10 साल तक की अवधि में FD ऑफर करते हैं। हालांकि, सिर्फ एफडी में पैसा डाल देना ही काफी नहीं है। सही टेन्योर और सही स्ट्रैटेजी चुनना उतना ही जरूरी है, ताकि रिटर्न बेहतर मिल सके।
मान लीजिए आपके पास 5 लाख रुपए हैं। अब सवाल यह है कि क्या पूरे 5 लाख की एक FD बनानी चाहिए या फिर 1-1 लाख रुपए की 5 अलग-अलग FDs करना ज्यादा समझदारी होगी? फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स कहते हैं, अगर ब्याज दर और अवधि समान है, तो दोनों ही मामलों में मैच्योरिटी अमाउंट लगभग बराबर रहेगा। फर्क फ्लैक्सिबिलिटी, जरूरत के समय पैसा निकालने की सुविधा और सुरक्षा में पड़ता है।
अगर आप ज्यादा तामझाम नहीं चाहते हैं, तो एक FD आपके लिए सही हो सकती है। इसके एक नहीं कई फायदे हैं। इससे सिर्फ एक रसीद और एक मैच्योरिटी डेट होती है। मैनेजमेंट आसान होता है। पैसे लगाकर भूल जाने वाला निवेश होता है। यह विकल्प उन निवेशकों के लिए बेहतर है, जिन्हें भरोसा है कि उन्हें कई सालों तक इस पैसे की जरूरत नहीं पड़ेगी। समस्या तब आती है जब आपको अचानक से कुछ रकम की जरूरत पड़ जाए। मान लीजिए आपको 1 लाख रुपए चाहिए तो पूरी 5 लाख की FD तोड़नी पड़ेगी। इससे प्रीमैच्योर विदड्रॉल पर पूरी रकम पर पेनाल्टी लगती है, और रिटर्न कम हो जाता है।
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स के अनुसार, 5 लाख को 5 अलग-अलग FDs में 1-1 लाख में बांटना ज्यादा समझदारी भरा कदम है। इससे जरूरत पड़ने पर सिर्फ एक FD तोड़ सकते हैं, बाकी पैसा बिना रुके ब्याज कमाता रहता है, पेनाल्टी सिर्फ उसी FD पर लगेगी, जो तोड़ी गई है। कई FDs का एक बड़ा फायदा यह भी है कि आज आपने 7% पर FD की है और अगले साल ब्याज दर 8% हो गई तो आप एक छोटी एफडी तोड़कर नई एफडी ज्यादा ब्याज पर कर सकते हैं। एक लंबी अवधि की FD में यह सुविधा नहीं मिलती।
एक से ज्यादा एफडी के सिर्फ फायदे नहीं, नुकसान भी हैं। इसमें कई रसीदें संभालनी पड़ती हैं, अलग-अलग मैच्योरिटी डेट याद रखनी होती हैं, कुछ निवेशकों को यह झंझट लग सकता है। हालांकि, आजकल नेट बैंकिंग और मोबाइल ऐप के चलते यह समस्या काफी हद तक कम हो गई है।
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स के अनुसार, इसका जवाब आपकी जरूरतों पर निर्भर करता है। एक FD तब चुननी चाहिए, जब आपके पास इमरजेंसी फंड पहले से है, आपको पैसों की जरूरत जल्दी नहीं पड़ेगी और आप आसान और बिना झंझट निवेश चाहते हैं। कई FDs तब चुनें, जब आप फ्लैक्सिबिलिटी चाहते हैं, अचानक खर्च के लिए तैयार रहना चाहते है और ब्याज दरों में बदलाव का फायदा उठाना चाहते हैं।
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल सिर्फ सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की निवेश सलाह नहीं है। फिक्स्ड डिपॉजिट या किसी भी निवेश करने से पहले अपनी वित्तीय जरूरत, जोखिम क्षमता और संबंधित बैंक की शर्तों को समझ लें। बेहतर निर्णय के लिए किसी प्रमाणित वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें।
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