G20 Summit 2023 : 25 साल पहले राष्ट्रपति भवन में ठहराए जाते थे विदेशी मेहमान, अब क्यों बुक होता है होटल

25 साल पहले तक भारत आने वाले सभी विदेशी नेताओं को ठहरने का इंतजाम राष्ट्रपति भवन में ही कराया जाता था। वे वहीं रहा करते थे। हालांकि, 1998 के बाद से जितने भी विदेशी मेहमान आते हैं, उनके लिए होटल बुक करवाया जाता है।

बिजनेस डेस्क : G20 शिखर सम्मेलन का मंच सज चुका है। दुनियाभर की महाशक्तियां इस समिट में शामिल होने दिल्ली पहुंच चुकी हैं। उनके लिए दिल्ली और आसपास के आलीशान होटल बुक हैं। इन्हीं में विदेशी मेहमान ठहरे हुए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में आने वाले दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्षों को राष्ट्रपति (Rashtrapati Bhavan) भवन में क्यों नहीं ठहराया जाता। जबकि वहां की मेहमानवाजी और सुरक्षा को और भी शानदार है? 25 साल पहले तक जो गेस्ट आते थे, उन्हें राष्ट्रपति भवन में ही ठहराया जाता था लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ, जब उनके लिए होटल बुक होने लगे? आइए जानते हैं...

25 साल पहले राष्ट्रपति भवन में रहते थे विदेशी मेहमान

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जानकारों के मुताबिक, साल 1998 में रिपब्लिक डे परेड में भारत ने फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति जैक शिराक को बतौर चीफ गेस्ट आमंत्रित किया था। अब तक जितने भी विदेशी नेता भारत आते थे, सभी को राष्ट्रपति भवन में ही ठहराया जाता था। हालांकि, जब शिराक दिल्ली आए तो उन्होंने कहा कि वे राष्ट्रपति भवन में नहीं ठहरना चाहते हैं। इसके बाद उनके लिए शानदार होटल बुक कराया गया। उसके बाद से ही जब भी विदेश से कोई नेता आता है तो उसके लिए लग्जरियस होटल बुक किए जाते हैं।

इन वजहों से होटलों में ठहराए जाते हैं विदेशी नेता

जानकारों के मुताबिक, विदेशी नेताओं के होटल में ठहराए जाने की दो वजहें हो सकती हैं। पहला सुरक्षा- दरअसल, हमारा राष्ट्रपति भवन 33 एकड़ जमीन में बना है। यह 2 लाख स्कवेयर फीट तक फैला हुआ है। इतना विशाल होने की वजह से विदेशी नेताओं के सुरक्षा काफिले को इसमें सिक्योरिटी का इंतजाम करने में परेशानियां होती हैं। इस वजह से राष्ट्रपति भवन की तुलना में होटल में सुरक्षा करना ज्यादा आसान हो जाता है।

राष्टपति भवन में विदेशी नेताओं को न ठहराए जाने का दूसरा कारण

विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने मीडिया से बताया कि राष्ट्रपति भवन में माहौल काफी फॉर्मल रहता है। ऐसे में जब भी कोई विदेशी मेहमान वहां ठहरता है तो उसे कायदे और कानून का भी पालन करना पड़ता है। जबकि होटल में उन्हें ज्यादा प्राइवेसी मिल जाती है। ऐसे में राष्ट्रपति भवन में ठहरने की बजाय वे होटल को ही चुनना पसंद करते हैं।

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