मंदिर में भगवान गणेश की 7.5 फीट ऊंची और 4 फीट चौड़ी प्रतिमा विराजमान है। इस प्रतिमा के चेहरे पर 8 किलोग्राम सोना चढ़ा हुआ है। प्रतिमा में गणपति के दोनों कान सोने के हैं। इस प्रतिमा का मुकुट 9 किलोग्राम का है। इस प्रतिमा को सोने से सजाया गया है।
बिजनेस डेस्क : गणेशोत्व की धूम पूरे देश में देखने को मिल रही है लेकिन महाराष्ट्र की बात कुछ और ही है। जहां प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश के एक से बढ़कर एक भव्य पंडाल सजकर तैयार हो गए हैं। इन्हीं में से एक है 'श्रीमंत दगड़ूसेठ हलवाई गणपति मंदिर' (Dagdusheth Ganpati), जहां करीब 126 साल से गणेशोत्सव होता आ रहा है। दूर-दूर से इस मंदिर भक्त पहुंचते हैं और गणेश चतुर्थी के दौरान तो यहां का अद्भुत नजारा देखते ही बनता है. चलिए जानते हैं इस मंदिर का इतिहास और इसके नाम की कहानी...
दगड़ूसेठ गणपति मंदिर का नाम कैसे पड़ा
महाराष्ट्र के पुणे के सुंदर नगर में दगड़ूसेठ गणपति मंदिर है। यहां सालभर भक्तों का आना जाना लगा रहता है लेकिन गणेश उत्सव के दौरान की बात कुछ खास ही होती है। भगवान गणेश का यह मंदिर बेहद खास और अलग है। यहां गणेश जी को गड़ूसेठ हलवाई कहा जाता है। दरअसल, दगड़ूसेठ नाम के एक प्रसिद्ध हलवाई ने ही इस मंदिर का निर्माण करवाया था. तभी से भक्त इस मंदिर को दगड़ूसेठ हलवाई के नाम सेही पुकारते हैं।
दगड़ूसेठ गणपति मंदिर का इतिहास
कहा जाता है कि दगड़ूसेठ हलवाई कलकत्ता के रहने वाले थे। पत्नी और बेटे के साथ मिठाई का काम करने पुणे चले आए थे। उसी दौरान पुणे में प्लेग महामारी फैली हुई थी। इस बीमारी ने दगड़ूसेठ हलवाई के बेटे को उनसे छीन लिया. बेटे की आत्मा की शांति के लिए दगड़ूसेठ हलवाई ने एक पंडित से बात की तो उन्होंने ही भगवान गणेश का मंदिर बनवाने की सलाह दी। पंडित जी की सलाह पर दगड़ूसेठ हलवाई ने 1893 में इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाकर गणेश प्रतिमा की स्थापना की। आज इस मंदिर को उन्हीं के नाम पर जाना जाता है।
दगड़ूसेठ गणपति मंदिर के प्रतिमा की खास बात
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इस मंदिर में गणेश उत्सव मनाने की शुरुआत की थी। तभी से हर साल यहां पर गणेश चतुर्थी के 10 दिन तक धूम रहती है। दगड़ूसेठ हलवाई गणपति मंदिर में भगवान गणेश की 7.5 फीट ऊंची और 4 फीट चौड़ी प्रतिमा विराजमान है। इस प्रतिमा के चेहरे पर 8 किलोग्राम सोना चढ़ा हुआ है। प्रतिमा में गणपति के दोनों कान सोने के हैं। इस प्रतिमा का मुकुट 9 किलोग्राम का है। इस प्रतिमा को सोने से सजाया गया है। गणेश जी की यह प्रतिमा पूरे भारत में प्रसिद्ध है।
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