पालकी पर सवार होकर निकलते हैं केसरीवाडा के गणपति, गजब का होता है उत्साह

केसरीवाडा के गणपति की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। 10 दिन के गणेश उत्सव के दौरान यहां बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। पंचप केसरी वड़ा गणपति के नाम से फेमस इस मंदिर का इतिहास भी काफी रोचक है।

बिजनेस डेस्क : महाराष्ट्र में गणेश पंडाल सज गए हैं। गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। मुंबई से पुणे तक गणेशोत्सव (Ganeshotsav 2023) की धूम है। हर पंडाल और हर गणेश मंदिर की अपनी खासियत है। सबसे फेमस गणेश पंडाल में से एक केसरीवाडा के गणपति (Kesari Wada Ganpati) की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। 10 दिन के गणेश उत्सव के दौरान यहां बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। पंचप केसरी वड़ा गणपति के नाम से फेमस इस मंदिर का इतिहास भी काफी रोचक है। आइए जानते हैं...

केसरीवाडा के गणपति का इतिहास

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पुणे के गणेशोत्सव में केसरीवाड़ा के गणपति पांचवें गणपति हैं। इस गणेश प्रतिमा की स्थापना 1894 में लोकमान्य तिलक ने स्थापित किया था। उसके बाद 1905 से केसरीवाड़ा में बड़े ही धूमधाम से गणेशोत्सव मनाया जाने लगा। तभी से भगवान गणेश की पालकी में शोभा यात्रा निकालने की परंपरा भी चली आ रही है। पिछले करीब 126 साल से निरंतर भव्य आयोजन होते आ रहा है।

केसरीवाड़ा के गणपति की प्रतिमा

यहां वर्तमान में गणेश जी की चांदी की प्रतिमा स्थापित है। इसकी स्थापना 13 साल पहले ही की गई थी। इस प्रतिमा का निर्माण गाडगिल ज्वैलर्स किया है। केसरीवाड़ा की बात करें तो यह एक गणेश ट्रस्ट है। गणेश उत्सव के पहले दिन ट्रस्ट ढोल-नगाड़ों की थाप पर प्रथम पूज्य गणेश जी का स्वागत करती है। यहां कई धार्मिक गतिविधियां होती रहती हैं।

मन्नतों वाले गणपति हैं केसरीवाड़ा

केसरीवाडा के गणपति को मन्नतों वाले गणपति माना जाता है। मान्यता है कि जो भी भक्त यहां अपनी कोई भी मुराद लेकर आता है, कभी खाली हाथ नहीं लौटता है। यहां का गणपति विसर्जन भी ठाठ-बाट से होता है। विसर्जन के दौरान गणपति को पालखी में बिठाकर उनका जुलूस निकाला जाता है। गणेशोत्सव के 10 दिन अलग-अलग भजन मंडल भगवान गणेश का भजन गाते हैं। महिलाएं गणेश जी की पूजा करती हैं। कई सामाजिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

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