
Pulses Prices : पिछले कुछ सप्ताह से दालों की कीमतों में आ रही जबर्दस्त तेजी के बीच केंद्र सरकार ने अब कीमतें काबू करने के लिए जरूरी कदम उठाया है। केंद्र ने सभी राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे ट्रेडर्स के द्वारा अलग-अलग दालों के भंडार का साप्ताहिक आधार पर खुलासा करें। साथ ही ट्रेडर्स के द्वारा किए गए खुलासे को राज्यों द्वारा वेरिफाई कराने के लिए भी कहा है।
किन दालों के भंडारण पर रहेगी सरकार की नजरें
हाल ही में जारी एक ऑफिशियल बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने जिन दालों के स्टॉक को लेकर खुलासे का प्रावधान किया है, उनमें तुअर दाल, उड़द की दाल, चना दाल, मसूर दाल और मूंग की दाल शामिल है। इसके अलावा आयातित पीली मटर दाल के स्टॉक की भी निगरानी करने के लिए कहा गया है। पीली मटर दाल के आयात की मंजूरी दिसंबर 2023 में मिली थी, जो कि 30 जून तक के लिए है।
राज्यों को दिए गए भंडारण सुनिश्चिन करने के निर्देश
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की सचिव निधि खरे ने दालों की कीमतों को कंट्रोल में लाने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत राज्यों के प्रधान सचिवों व उपभोक्ता मामले के विभाग के सचिवों के साथ बैठक की गई। उन्होंने सभी राज्य सचिवों को स्टॉकहोल्डिंग का भंडारण इंश्योर करने के लिए कहा। दाल के आयातकों के अलावा उन्होंने इंडस्ट्री के कुछ और प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की।
सबसे ज्यादा महंगी हुई अरहर की दाल
पिछले कुछ सप्ताह से अरहर और उड़द की दाल की कीमतों में खासी तेजी देखी गई है। अप्रैल की शुरुआत में ही अरहर की दाल के भाव एक महीने पहले की तुलना में 100 रुपये तक बढ़ गए। अरहर दाल के दाम अभी दूसरी दालों की तुलना में सबसे ज्यादा हैं। अरहर दाल की औसत कीमत 160 रुपये किलो के आसपास है। अरहर के अलावा मूंग और मसूर दाल की कीमतों में भी तेजी देखी जा रही है।
इस तरह बढ़ी दालों की महंगाई
जनवरी महीने में दालों की थोक महंगाई 16.06 प्रतिशत थी। वहीं फरवरी महीने में ये बढ़कर 18.48 प्रतिशत पर पहुंच गई। दालों की कीमतें उस वक्त बढ़ रही हैं, जब देशभर में लोकसभा चुनाव होने हैं। चुनाव का पहला चरण 19 अप्रैल से शुरू होगा, जो कि 1 जून तक चलेगा। इसके बाद 4 जून को रिजल्ट आएंगे।
ये भी देखें :
नोट छापने की मशीन बने ये 10 म्चूचुअल फंड्स, जानें 5 साल में कितना रिटर्न?