मई में GST से सरकार ने कमाए 1.57 लाख करोड़ रुपए, पिछले साल की तुलना में 12% ज्यादा रहा कलेक्शन

मई, 2023 में सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) से 1,57,090 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसमें CGST 28,411 करोड़ रुपये, SGST 35,828 करोड़ रुपये और IGST 81,363 करोड़ रुपये है। बता दें कि ये सालभर पहले यानी मई, 2022 की तुलना में 12% अधिक है।

Ganesh Mishra | Published : Jun 1, 2023 12:00 PM IST / Updated: Jun 01 2023, 06:08 PM IST

GST Collection in may 2023: मई, 2023 में सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) से 1,57,090 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसमें CGST 28,411 करोड़ रुपये, SGST 35,828 करोड़ रुपये और IGST 81,363 करोड़ रुपये है। बता दें कि ये सालभर पहले यानी मई, 2022 की तुलना में 12% अधिक है। तब सरकार ने GST से 1.40 लाख करोड़ रुपये कमाए थे।

अप्रैल की तुलना में कम रहा कलेक्शन
हालांकि, पिछले महीने के साथ GST की तुलना करें तो इसके कलेक्शन में कमी आई है। अप्रैल, 2023 में सरकार का जीएसटी कलेक्शन 1.87 लाख करोड़ रुपये था। बता दें कि मई, 2023 में सरकार ने IGST से CGST में 29769 करोड़ रुपये और CGST में 35,369 करोड़ रुपये का निपटान किया है। नियमित निपटान के बाद मई 2023 में केंद्र और राज्यों का कुल रेवेन्यू CGST के लिए 63,780 करोड़ रुपये और SGST के लिए 65,597 करोड़ रुपए है।

मई 2023 में राज्यवार कैसा रहा GST रेवेन्यू

राज्यमई, 2022मई, 2023ग्रोथ (% में)
जम्मू-कश्मीर37242214
हिमाचल प्रदेश74182812
पंजाब18331744-5
उत्तराखंड130914319
हरियाणा666372509
दिल्ली4113514725
राजस्थान378939244
उत्तर प्रदेश6670746812
बिहार1178136616
पश्चिम बंगाल489651625
झारखंड246825845
ओडिशा3956439811
मध्य प्रदेश2746338123
गुजरात932198005
महाराष्ट्र203132353616
कर्नाटक92321031712

वित्त वर्ष 2022-23 में ऐसा रहा GST कलेक्शन

वित्त वर्ष 2022-23 में कुल GST कलेक्शन कुल 18.10 लाख करोड़ रुपए रहा। अगर हर महीने GST कलेक्शन के औसत की बात करें तो यह 1.51 लाख करोड़ रुपए रहा है। वहीं 2022-23 में GST का ग्रॉस रेवेन्यू, पिछले वित्त वर्ष यानी 2021-22 की तुलना में करीब 22% ज्यादा रहा है।

क्या है GST?

जब भी हम कोई सामान खरीदते हैं या सर्विस लेते हैं तो उसके बदले टैक्स देना होता है। इसी को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स या GST कहते हैं। पहले यह टैक्स व्यवस्था अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग थी, लेकिन अब देश के किसी भी कोने में एक सामान के लिए उतना ही टैक्स देना पड़ता है, जितना दूसरे राज्यों में देना होता है।

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