Gold Jewelry Buying Tips: जीएसटी काउंसिल ने कई आइटम्स पर जीएसटी कम कर दिया है लेकिन सोने और चांदी पर GST में कोई बदलाव नहीं हुआ। गोल्ड पर 3% और ज्वैलरी मेकिंग चार्ज पर 5% जीएसटी पहले जैसा ही लागू है। ऐसे में जानिए 5 ट्रिक्स, जिनसे पैसे बचा सकते हैं।
ज्यादातर ज्वैलरी की कीमत का बड़ा हिस्सा मेकिंग चार्ज में जाता है। दुकानों में ये प्रतिशत के हिसाब से लिया जाता है (8–12%), जबकि पर-ग्राम बेस पर मेकिंग चार्ज अक्सर सस्ता पड़ता है। ज्वैलरी शॉप पर मेकिंग चार्ज पूछें और जहां कम हो, वहां से शॉपिंग करें।
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वेस्टेज और डिजाइन को समझें
कई दुकानों में वेस्टेज भी मेकिंग में जोड़ा जाता है। इससे छोटा सा सोना भी आपको महंगा लग सकता है। भारी और जटिल डिजाइन की ज्वैलरी में चार्ज ज्यादा होता है। जबकि आसान डिजाइन पर कम मेकिंग चार्ज लगेगा। अपनी जरूरत और बजट के हिसाब से डिजाइन चुनें। वेस्टेज अलग कराएं। इससे भी हजारों रुपए तक बचत हो सकती है।
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22 कैरेट vs 18 कैरेट: शुद्धता और कीमत का बैलेंस
22 कैरेट गोल्ड शुद्ध होता है, लेकिन महंगा भी होता है। वहीं 18 कैरेट सस्ता है लेकिन शुद्धता थोड़ी कम होती है। अगर ज्वैलरी या चेन डेली पहनने या गिफ्ट के लिए है, तो 18 कैरेट का ऑप्शन भी देख सकते हैं। इससे 10 ग्राम पर अच्छी-खासी बचत हो सकती है।
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हॉलमार्क और बिलिंग चेक करें
BIS HUID 6-अंकों का होना चाहिए। बिल में वजन, शुद्धता और मेकिंग चार्ज ब्रेकअप साफ-साफ लिखा हो। हॉलमार्क और बिलिंग सही होने से फ्यूचर में परेशानी नहीं आती है। इससे बाय-बैक या एक्सचेंज में नुकसान कम होता है। दरअसल, पुरानी ज्वैलरी को एक्सचेंज करने पर दुकानों से कटौती या नेट अमाउंट पर फायदा मिलता है। मेकिंग चार्ज पर 5% GST अभी भी लागू है।
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ऑफर्स और पैकेजिंग का लाभ उठाए
सीजनल या फेस्टिव ऑफर अक्सर मेकिंग चार्ज पर मिलते हैं, जीएसटी पर नहीं। पैकेजिंग की फैंसी डिजाइन भी आपकी ज्वैलरी का बिल बढ़ा सकती है। इसलिए सिंपल डिजाइन चुनें और पैकेजिंग को समझकर ही लें।
Disclaimer: यह आर्टिकल सिर्फ जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई GST दरें, मेकिंग चार्ज और गोल्ड रेट्स समय और स्थान के अनुसार बदल सकते हैं। निवेश या खरीदारी से पहले हमेशा अपने वित्तीय सलाहकार या ज्वेलरी डीलर से पुष्टि करें।