बिजनेस डेस्क. हिंडनबर्ग ने एक बार फिर भारत में धमाका किया है। इस बार इस शॉर्ट सेलिंग कंपनी ने अडानी ग्रुप के साथ सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पिछले साल जब हिंडनबर्ग की इस कंपनी ने अडानी के शेयरों में शॉर्ट सेलिंग कर 33 करोड़ रुपए से ज्यादा कमाई की थी। ये कंपनियां शॉर्ट सेलिंग के जरिए ही पैसे कमा रहे है। लेकिन क्या आपको पता है कि ये शॉर्ट सेलिंग क्या है और इससे ये रिसर्च कंपनियां कैसे कमाई करती है।
शार्ट सेलिंग क्या है?
शॉर्ट सेलिंग में स्टॉक शेयरों में बढ़ोतरी से गिरावट से कमाई होती हैं। इसे ही शेयरों को शॉर्ट करना कहते हैं। यानी की शेयरों के भाव गिराकर कमाई का तरीका है। और ये काम करने वाली कंपनी या ट्रेडर को शॉर्ट सेलर कहा जाता है। इसमें काफी रिस्क होता है। लेकिन इस रिस्क के साथ ट्रेडर को रिवार्ड मिलता है। अगर ये बाजी पलट गई तो ट्रेडर को तगड़ा नुकसान होता है।
कैसे होती है शॉर्ट सेलिंग
शार्ट सेलिंग में एक ट्रेडर अपने ब्रोकर से शेयर उधार लेता है। इसमें वह शेयर को एक तय समय के बाद ब्याज के साथ ब्रोकर को लौटाने का वादा करता है। इन शेयरों को शॉर्ट सेलर ऊंचे दाम में बेचता है। इसके बाद वह कुछ दिनों तक शेयरों के दाम गिरने का इंतजार करता है। फिर से शेयरों को दाम गिरने पर शेयर खरीदता है। फिर उन्हीं शेयरों को ब्रोकर को खरीद देता है। इससे हुए मुनाफे का कुछ हिस्सा ब्रोकर को ब्याज के रूप में देता है। साथ ही शेयर भी ब्रोकर को वापस कर देता है।
हिंडनबर्ग ने की शॉर्ट सेलिंग से तगड़ी कमाई
बीते साल पहली बार अडानी के खिलाफ हिंडनबर्ग ने शॉर्ट सेलिंग का दाव खेला था। इस दौरान अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद अडानी ग्रुप के शेयर फर्श पर आ गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अडानी के शेयरों से शॉर्ट सेलिंग कर 40 लाख डॉलर यानी 33.58 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था।
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