
E-Waste: आज के समय में हर घर में मोबाइल फोन, टैपटॉप और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स हैं। जब तक ये काम करते हैं लोग इस्तेमाल करते हैं, लेकिन खराब होने पर कचरा बन जाते हैं। इन्हें इलेक्ट्रॉनिक कचरा कहा जाता है। अगर आपके पास भी पुराना मोबाइल फोन या लैपटॉप है तो उसे कबाड़ समझने की भूल नहीं करें। इसमें सोना छिपा रहता है। आइए जानते हैं इस सोना को कैसे निकाल सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के GEM (Global E-waste Monitor) के अनुसार, ई-कचरा ठीक से रीसाइकिल होने की तुलना में पांच गुना तेजी से बढ़ रहा है। 2022 में रिकॉर्ड 62 मिलियन टन ई-कचरा पैदा हुआ। यह मात्रा 2030 तक 32% बढ़कर 82 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है। फेंके गए ये उपकरण न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि अरबों डॉलर के दुर्लभ और मूल्यवान संसाधनों का भी नुकसान होता है। इस समय दुनियाभर में रेयर अर्थ एलिमेंट की जितनी मांग है उसका सिर्फ 1% ही ई-कचरा रीसाइकिलिंग के जरिए पूरा किया जाता है।
वैज्ञानिकों ने ई-कचरा रीसाइकिलिंग के लिए नया तरीका विकसित किया है। इलेक्ट्रॉनिक कचरे से सोना निकालने की एक नई, सुरक्षित और टिकाऊ विधि नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित हुई है।
स्टेप 1- सोने का विघटन: सबसे पहले सोने को ट्राइक्लोरोइसोसायन्यूरिक एसिड का इस्तेमाल कर डिजॉल्व किया जाता है। इसे हैलाइड उत्प्रेरक द्वारा सक्रिय किया जाता है।
स्टेप 2- गोल्ड बाइंडिंग: एसिड में घुले हुए सोने को पॉलीसल्फाइड पॉलिमर सोरबेंट का इस्तेमाल कर अलग किया जाता है।
स्टेप 3- सोना निकालना: सोना पॉलीमर के साथ जुड़ा रहता है। इसे पाइरोलाइज या डीपोलीमराइज कर अलग किया जाता है। इससे आपको शुद्ध सोना मिलता है।
इलेक्ट्रॉनिक कचरे से सेना निकालने की नई प्रक्रिया में कठोर रसायनों का इस्तेमाल नहीं होता। इसके चलते यह पर्यावरण अनुकूल है। यह सेना निकालने से जुड़े लोगों के लिए सुरक्षित भी है। सोना के पारंपरिक खनन में बड़े पैमाने पर कठोर रसायनों का इस्तेमाल होता है। ई-कचरा लगातार बढ़ रहा है। इससे सोना जैसी बहुमूल्य धातु निकाले जाने से रीसाइक्लिंग को बढ़ावा मिलेगा। यह पर्यावरण के लिए भी बेहतर होगा।