D-Mart में कैसे मिलता है इतना सस्ता सामान, इसके पीछे 12वीं पास लड़के का दिमाग

शेयर मार्केट में बड़ा मुकाम पाने के बाद दमानी बिजनेस करने की सोच रहे थे। शुरुआत में उन्हें कई बार फेल होना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 1999 में उन्होंने पहले नेरूल की फ्रेंचाइजी ली और इसमें वे सफल नहीं हो पाए। बाद में डीमार्ट की शुरुआत की।

बिजनेस डेस्क : सस्ता सामान खरीदने के लिए आजकल लोग डीमार्ट (Dmart) जाना पसंद करते हैं। देशभर में डीमार्ट के स्टोर हैं। मेट्रो सिटीज के अलावा अब छोटे शहरों में भी डी मार्ट खुलने लगा है। डीमार्ट जहां भी खुल रहा है, वहां के जमीन की कीमत भी बढ़ रही है, क्योंकि डीमार्ट एक ब्रांड है और हर किसी को लगता है कि डीमार्ट कहीं खुला है तो वहां निवेश बढ़ने वाला है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि जब दुनियाभर में महंगाई बढ़ रही है तो ऐसे में डीमार्ट सस्ते और डिस्काउंट पर सामान कैसे देता है? इसके पीछे क्या स्ट्रैटजी है और किसका दिमाग लगा है?

D-Mart की तरक्की के पीछे किसका दिमाग

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डीमार्ट आज जहां खड़ा है उसके पीछे इसके ओनर राधाकिशन दमानी (Radhkishan Damani) का दिमाग लगा है। दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला अपना गुरु मानने वाले राधाकिशन दमानी देश के सबसे अमीर शख्सियत में शामिल हैं। उनका नेटवर्थ 1 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। राधाकिशन दमानी सिर्फ इंटर पास हैं लेकिन उनका तेज दिमाग उनके बिजनेस के लिए वरदान है। उनके पास बिजनेस को आगे बढ़ाने का गजब का हुनर है।

देशभर में कितना डीमार्ट स्टोर हैं

शेयर मार्केट में बड़ा मुकाम पाने के बाद दमानी बिजनेस करने की सोच रहे थे। शुरुआत में उन्हें कई बार फेल होना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 1999 में उन्होंने पहले नेरूल की फ्रेंचाइजी ली और इसमें वे सफल नहीं हो पाए। इसके बाद उन्होंने बोरवेल बनाने का काम शुरू किया लेकिन यह काम भी नहीं चल सका। साल 2002 में मुंबई में पहला डीमार्ट स्टोर खोला और तभी तय कर लिया था कि इस स्टोर को आगे ले जाना है। इसी का नतीजा है कि आज देशभर में डीमार्ट के 300 से ज्यादा स्टोर्स हैं।

डीमार्ट में इतना सस्ता सामान कैसे मिलता है

पहला कारण- जब राधाकिशन दमानी ने पहला डीमार्ट स्टोर खोला था, तभी ठान लिया था कि कभी भी किसी किराए की जगह स्टोर नहीं खोलेंगे। सस्ता सामान मिलने का एक यह भी कारण है। क्योंकि जब जमीन और स्टोर उनका होता है तो उन्हें किराया नहीं देना होता है। इस बची हुई कॉस्ट से वे सस्ता सामान रखते हैं और इसी तरह डीमार्ट कम से कम 5 से 7 फीसदी तक बचत करता है और अपने कस्टमर्स को डिस्काउंट देता है।

दूसरा कारण- डीमार्ट का लक्ष्य 30 दिन के अंदर स्टॉक खत्म करने और नया सामान मंगवाने का होता है। डीमार्ट कंपनियों को पेमेंट भी जल्दी करता है। इससे मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां भी डीमार्ट को काफी छूट पर सामान उपलब्ध कराती हैं और इस डिस्काउंट का इस्तेमाल डीमार्ट कस्टमर्स को सस्ता सामान और डिस्काउंट देने में करता है। इससे उसकी डिमांड बढ़ती है और रेवेन्यू भी बढ़ती जाती है।

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