
बिजनेस डेस्क। महंगाई के जमाने में कई बार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकों से लोन लेना पड़ता है। ये लोन कई तरह के होते हैं, मसलन पर्सनल लोन, होम लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन। बैंक किसी भी शख्स को कर्ज देने से पहले उसकी वित्तीय स्थिति की जांच कर ये देखते हैं कि सामने वाला लोन चुकाने की हालत में है या नहीं। सारी चीजों का वेरिफिकेशन करने के बाद ही संबंधित के खाते में लोन रकम ट्रांसफर की जाती है। हालांकि, कई बार लोन लेने वाले शख्स की अचानक मौत हो जाती है, ऐसे में सवाल उठता है कि कर्ज की रकम किससे वसूल की जाएगी?
अगर लोन लेने वाले शख्स की अचानक मौत हो जाती है तो ऐसी स्थिति में बैंक 4 लोगों से रकम वसूल सकते हैं।
1- लोन के को-एप्लिकेंट
लोन लेने वाले शख्स की मौत के बाद बैंक सबसे पहले को-एप्लिकेंट को पकड़ते हैं।
2- गारंटर
अगर को एप्लिकेंट लोन चुकाने में असमर्थ है, तो बैंक गारंटर को घेरते हैं और उससे लोन की बकाया रकम चुकाने को कहते हैं।
3- कानूनी वारिस
कई बार गारंटर भी लोन नहीं चुका पाते, तब बैंक मृतक के किसी परिजन या कानूनी तौर पर उसके वारिस से कॉन्टैक्ट करते हैं।
4- मृतक की प्रॉपर्टी
अगर इनमें से कोई भी लोन नहीं चुकाता है तो अंत में बैंक मृतक की प्रॉपर्टी को सीज कर उसे बेचकर लोन की रकम वसूलते हैं।
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अगर किसी शख्स ने होम लोन या फिर कार लोन लिया है और अचानक उसकी मौत हो जाती है तो बैंक उस घर या गाड़ी को सीज कर देते हैं। बाद में इन्हें बेचने के लिए नीलामी की जाती है। नीलामी में प्रॉपर्टी बेचकर बैंक अपनी रकम वसूल कर लेते हैं।
अगर बैंक ने सिक्योर्ड लोन दिया है, तो उसके पास संपत्ति या जो कुछ भी लोन के लिए लिया गया है, उसे जब्त करने का पूरा अधिकार है। इसके अलावा लोन इंश्योर्ड है, तो बैंक नॉमिनी के साइन लेकर बीमा कंपनी से पैसे वसूलने की प्रॉसेस शुरू करता है।
अगर अनसिक्योर्ड लोन है, तो भुगतान के लिए कोई उत्तरदायी नहीं है। हालांकि, बैंक फिर भी मृतक के रिश्तेदारों से यथासंभव सारा पैसा वसूलने की कोशिश करते हैं। पर्सनल लोन एक तरह का अनसिक्योर्ड लोन ही होता है, जिसमें बिना किसी जमानत के पैसा दिया जाता है। अगर लोन लेने वाले शख्स की अचानक मौत हो जाती है, तो बैंकों के पास लोन वसूली का कोई सहारा नहीं होता क्योंकि ये एक असुरक्षित लोन है। अगर पर्सनल लोन एक से ज्यादा व्यक्तियों ने लिया है और उनमें से किसी एक की मृत्यु हो जाती है, तो बकाया राशि की जिम्मेदारी को-एप्लिकेंट पर आती है। हालांकि, दोनों एप्लिकेंट एक साथ दुर्घटना में मर जाते हैं, तो फिर ऋणदाता के पास लोन की रकम वसूलने का कोई सहारा नहीं होता है।
इनके अलावा, किसी अन्य लोन में बैंक लोन लेने वाले मृतक की कोई और प्रॉपर्टी भी सीज कर उसे बेच सकते हैं। ऐसी स्थिति में लोन लेने वाले की फैमिली के लिए काफी बदतर हालात पैदा हो जाते हैं। इससे बचने के लिए कम से कम 1 करोड़ रुपये का टर्म इंश्योरेंस लेना चाहिए, ताकि मौत होने पर टर्म इंश्योरेंस से मिलने वाली रकम से लोन की भरपाई की जा सके।
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