PPP ने भारत को बनाया दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, जानें कहां खड़े हैं रूस-जापान और जर्मनी

भारत भले ही अभी दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन PPP यानी परचेजिंग पावर पैरिटी (Purchasing Power Parity) के हिसाब हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गए हैं। वर्ल्ड ऑफ स्टेटिस्टिक्स ने हाल ही में इसके आंकड़े जारी किए हैं।

Ganesh Mishra | Published : Aug 7, 2023 3:33 PM IST / Updated: Aug 09 2023, 11:04 AM IST

Indian Economy 3rd Position in PPP: भारत भले ही अभी दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन PPP यानी परचेजिंग पावर पैरिटी (Purchasing Power Parity) के हिसाब से देखें तो भारत अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। वर्ल्ड ऑफ स्टेटिस्टिक्स (World of Statistics) ने हाल ही में जो आंकड़े जारी किए हैं, उनके मुताबिक भारत इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर पहुंच गया है।

PPP के हिसाब से अमेरिका नहीं चीन है टॉप पर

वर्ल्ड ऑफ स्टेटिस्टिक्स (World of Statistics) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, परचेजिंग पावर पैरिटी (Purchasing Power Parity) के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका नहीं, बल्कि हमारा पड़ोसी मुल्क चीन है। अमेरिका इस मामले में दूसरे नंबर पर है। चीन की अर्थव्यवस्था 30.3 ट्रिलियन डॉलर है और इसके साथ ही वो नंबर वन है। वहीं, अमेरिका 25.4 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के साथ दूसरे नंबर पर है।

 

भारत ने जापान-रूस और जर्मनी को पछाड़ा

परचेजिंग पावर पैरिटी (Purchasing Power Parity) के हिसाब से भारत इस लिस्ट में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है। भारत की अर्थव्यवस्था 11.8 ट्रिलियन डॉलर की है। भारत के बाद चौथे नंबर पर जापान (5.7 ट्रिलियन डॉलर), रूस (5.32 ट्रिलियन डॉलर) जर्मनी (5.3), इंडोनेशिया (4.03 ट्रिलियन डॉलर), ब्राजील (3.83 ट्रिलियन डॉलर), फ्रांस (3.77 ट्रिलियन डॉलर) और यूके (3.65 ट्रिलियन डॉलर) हैं।

क्या है परचेजिंग पावर पैरिटी (PPP)

परचेजिंग पावर पैरिटी (PPP) एक इकोनॉमिक थ्योरी है, जो 'बास्केट ऑफ गुड्स' एप्रोच के जरिए अलग-अलग देशों की करेंसी के बीच तुलना करने में काम आती है। ये एक तरह से सैद्धांतिक एक्सचेंज रेट है, जिससे सामान, वस्तुओं और सेवाओं को किसी भी देश में खरीदा जा सकता है। ये किसी भी देश की करेंसी की परचेजिंग पावर को बताती है। आसान शब्दों में समझें तो मान लीजिए कि भारत में कोई सामान 1000 रुपये में खरीदा जा सकता है, तो उसी को अमेरिका में खरीदने के लिए हमें कितने डॉलर खर्च करने होंगे। इसी को परचेजिंग पावर पैरिटी कहते हैं।

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