वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ऑडिट वाले टैक्सपेयर्स और कॉर्पोरेट्स 15 नवंबर तक रिटर्न फाइल कर सकेंगे। सीबीडीटी ने टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए ये फैसला लिया था, जिसकी डेडलाइन शुक्रवार को खत्म हो रही है।
बिजनेस डेस्क। जिन टैक्सपेयर्स और कॉर्पोरेट्स के लिए टैक्स ऑडिट रिपोर्ट जमा करना कम्पलसरी है, उनके लिए ITR फाइल करने की लास्ट डेट 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 15 नवंबर कर दी गई है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा ये एक्सटेंशन इसलिए दिया गया है, ताकि टैक्सपेयर्स को असेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए अपना रिटर्न जमा करने से पहले अच्छी तरह ऑडिट करने का पर्याप्त समय मिल सके। शुक्रवार को ये डेडलाइन खत्म हो रही है।
1. कोई भी कॉर्पोरेट यूनिट।
2. कोई भी इंडिविजुअल टैक्सपेयर, जिसे आयकर अधिनियम या किसी अन्य लागू कानून के अनुसार ऑडिट प्रॉसेस से गुजरना जरूरी है।
3. किसी फर्म का कोई भी पार्टनर, जिसके फाइनेंशियल रिकॉर्ड को इनकम टैक्स एक्ट या किसी अन्य लागू कानून के मुताबिक ऑडिट किया जाना जरूरी है, या ऐसे पार्टनर का जीवनसाथी जिस पर धारा 5A (पुर्तगाली नागरिक संहिता द्वारा शासित पति-पत्नी के बीच आय साझा करने के संबंध में) लागू होती है।
इनकम टैक्स ऑडिट के तहत टैक्सपेयर्स को अपने आयकर रिटर्न (ITR) में ऑडिट से संबंधित स्पेसिफिक डिटेल्स देनी होगी, जैसे ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की तिथि और एकनॉलेजमेंट नंबर। इन डिटेल्स के बिना आईटीआर पूरा नहीं किया जा सकता है। इसलिए, टैक्सपेयर्स के लिए अपने आईटीआर दाखिल करने से पहले टैक्स ऑडिट को पूरा करना जरूरी है।
ऑडिट रिपोर्ट जमा करे बिना ITR फाइल नहीं किया जा सकता, इसलिए पहले टैक्स ऑडिट रिपोर्ट भरें। ऐसा न करने पर दो कानूनी उल्लंघन माने जाएंगे। पहला ITR दाखिल करने में विफलता और दूसरा इनकम टैक्स ऑडिट रिपोर्ट जमा न करना। ऑडिट की डेडलाइन को पूरा न करने पर 15 नवंबर तक का एक्सटेंशन रद्द हो जाएगा और देरी से जमा करने पर जुर्माना लगेगा। इसमें धारा 271B के अनुसार जुर्माना और बकाया टैक्स अमाउंट पर ब्याज शामिल है।
यदि कोई टैक्सपेयर अपना ITR फाइल करने की 15 नवंबर, 2024 की डेडलाइन चूक जाता है तो भी वह 31 दिसंबर, 2024 तक बिलेटेड रिटर्न जमा करने का ऑप्शन चुन सकता है। लेकिन उसे पेनल्टी लगेगी, जिसमें धारा 234A और 234B के तहत इंटरेस्ट चार्जेस देने होंगे। इसके अलावा, धारा 234F के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है, जो करदाता की इनकम के लेवल के आधार पर 1,000 रुपये से लेकर 5,000 रुपये तक हो सकता है। साथ ही, समय पर टैक्स ऑडिट रिपोर्ट जमा न करने पर 1.5 लाख रुपये या कुल बिक्री का 0.5% तक का जुर्माना लग सकता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि कौन-सा अमाउंट कम है।
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