
India-US LPG Deal: भारत ने पहली बार अमेरिका से LPG (रसोई गैस) सीधे आयात करने का ऐतिहासिक कदम उठाया है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि सरकारी तेल कंपनियों ने एक साल के लिए अमेरिका से लगभग 2.2 मिलियन टन गैस आयात करने का समझौता किया है। यह भारत के कुल आयात का करीब 10% है और आने वाले समय में यह आम घरों के लिए गैस की कीमतों में स्थिरता लाने में मदद करेगा।
इस समझौते के तहत 2026 के लिए अमेरिका के गल्फ कोस्ट से लगभग 2.2 मिलियन टन एलपीजी आयात किया जाएगा। यह भारत के सालाना आयात का करीब 10% है। खास बात यह है कि यह भारत का अमेरिका के साथ पहला स्ट्रक्चर्ड एलपीजी कॉन्ट्रैक्ट है। इसकी वैल्यू माउंट बेलव्यू के आधार पर की गई है, जो अमेरिकी एलपीजी ट्रेड का मुख्य बेंचमार्क है।
भारतीय तेल कंपनियों IOC, BPCL और HPCL की संयुक्त टीम ने पिछले कुछ महीनों में अमेरिका का दौरा कर प्रमुख प्रोड्यूसर्स से बातचीत की। इस बातचीत के सफल होने के बाद यह समझौता संभव हुआ। मंत्री पुरी ने इसे भारत के लिए एक ऐतिहासिक पहला कदम बताया और कहा कि अब दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते एलपीजी बाजार में अमेरिकी सप्लाई का रास्ता खुल गया है।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एलपीजी उपभोक्ता है। घरों में तेजी से इसका इस्तेमाल बढ़ रहा है और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने इसे और बढ़ावा दिया है। योजना के तहत गरीब और कम आय वाले परिवारों को सब्सिडी के साथ एलपीजी सिलेंडर मिलता है। पुरी ने कहा कि पिछले साल वैश्विक एलपीजी की कीमतें 60% से ज्यादा बढ़ गईं, लेकिन उज्ज्वला लाभार्थियों को सिर्फ 500-550 रुपए प्रति सिलेंडर देना पड़ा। असली लागत 1,100 रुपए थी। सरकार ने अंतर को पूरा करके उपभोक्ताओं को कीमत के झटके से बचाया और 40,000 करोड़ रुफए खर्च किए।
इस समझौते से भारत और अमेरिका के बीच ऊर्जा सहयोग मजबूत होगा। भविष्य में लंबे समय तक एलपीजी आपूर्ति के कॉन्ट्रैक्ट की संभावना भी बढ़ जाएगी। साथ ही, भारतीय तेल कंपनियों के लिए एक ही स्रोत पर निर्भर रहने का जोखिम कम होगा और कीमतों में स्थिरता आएगी। एलपीजी का उपयोग सिर्फ शहरों में नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेजी से बढ़ रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि हर घर तक सुरक्षित, किफायती और भरोसेमंद एलपीजी पहुंचे। अमेरिका से एलपीजी आयात इस दिशा में एक बड़ा कदम है।