स्टैनफोर्ड की रिपोर्ट में खुलासा: कोरोना में 20 लाख करोड़ के पैकेज ने अर्थव्यवस्था में फूंकी जान, वैक्सीनेशन से बची लाखों जिंदगियां

कोरोना महामारी ने न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया। हालांकि, मुश्किल दौर में भी भारत ने लॉकडाउन और वैक्सीनेशन ड्राइव के चलते लाखों जिंदगियां बचाईं। साथ ही अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दी। 

Impact of Covid Vaccination: कोरोना महामारी ने न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया। 1918-20 के स्पेनिश फ्लू के बाद कोरोना एक ऐसी महामारी के रूप में दुनिया के सामने आया, जिसने पूरे विश्व में कहर बरपाया। करीब 100 साल पहल आए स्पेनिश फ्लू ने 50 करोड़ लोगों को संक्रमित किया था, लेकिन कोरोना में 73 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए, जो कि विश्व की कुल आबादी का करीब 9% है। हालांकि, महामारी के दौर में भी भारत ने जिस तरह कोरोना वैक्सीन से अपने लोगों की जिंदगियां बचाने के साथ ही अर्थव्यव्था को भी मजबूत बनाए रखा, उसकी तारीफ पूरी दुनिया कर रही है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत ने कोरोना के दौरान कैसे वैक्सीनेशन ड्राइव चलाने के साथ ही अपनी इकोनॉमी को भी मजबूत किया।

इसलिए जरूरी था लॉकडाउन : 
बता दें कि ये रिपोर्ट अमित कपूर और रिचर्ड डैशर ने मिलकर तैयार की है। "हीलिंग द इकोनॉमी: एस्टिमेटिंग द इकोनॉमिक इम्पैक्ट ऑफ इंडियाज वैक्सीनेशन एंड रिलेटेड मेजर्स'' नाम से छपी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक, अगर समय रहते लॉकडाउन न लगाया जाता तो 11 अप्रैल, 2020 तक कोविड पॉजिटिव लोगों की संख्या 2 लाख रोजाना तक पहुंच सकती थी। लेकिन सरकार द्वारा लॉकडाउन के उपायों के चलते वास्तविक केस सिर्फ 7500 तक ही पहुंचे।

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लॉकडाउन की वजह से भारत ने बचाई लाखों जिंदगियां :

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि लॉकडाउन लागू होने के कारण 20 लाख मौतों को टाला गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत ने मार्च-अप्रैल 2020 में लॉकडाउन के जरिए 1 लाख से ज्यादा लोगों की जिंदगियां बचाईं। साथ ही कहा गया है कि देश को अपने पहले 100 मामलों से लेकर केसेस के पीक पर पहुंचने में करीब 175 दिन लगे। वहीं, रूस, कनाडा, फ्रांस, इटली और जर्मनी समेत ज्यादातर देशों में कोरोना केस का पीक 50 दिनों में ही पहुंच गया।

20 लाख करोड़ के राहत पैकेज का पॉजिटिव इम्पैक्ट :

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत सरकार की राजकोषीय नीति के उपायों ने आर्थिक गतिविधियों पर पॉजिटिव इम्पैक्ट डाला, जिससे बेरोजगारी को कम करने में मदद मिली। मई 2020 में, भारत ने 20 लाख करोड़ (करीब 282 बिलियन डॉलर) के राहत पैकेज का ऐलान किया। वहीं, 2020 के अक्टूबर-नवंबर में ऐलान किए गए उपायों में कुछ क्षेत्रों के लिए सपोर्ट स्कीम्स भी शामिल थीं। इनमें व्यपारियों और गरीब परिवारों को आर्थिक मदद शामिल थी।

कैश बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम का फायदा :

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 89-94% परिवार कैश बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम से सीधे लाभान्वित हुए और इस तरह कृषि क्षेत्र पर सरकार के पैकेज का पॉजिटिव इम्पैक्ट देखा गया। इतना ही नहीं, दिल्ली में 75% प्रवासी मजदूरो को इन राहत उपायों का फायदा मिला।

MSME सेक्टर को आर्थिक मदद :

आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज जीडीपी के लगभग 10% तक पहुंच गया। MSME सेक्टर के लिए घोषित राहत पैकेजों का आर्थिक प्रभाव 110.18 अरब डॉलर के बराबर है। यह सकल घरेलू उत्पाद का करीब 5.38% है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का असर :

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKAY) का इकोनॉमिक इम्पैक्ट 26.24 अरब डॉलर है। बुजुर्गों, महिलाओं, किसानों और श्रमिक वर्ग के लोगों को शामिल करने वाले व्यापक पैकेज के साथ ही PMGKAY ने ये सुनिश्चित किया कि इन लोगों की रोजी-रोटी पर पड़ने वाला असर को काफी कम किया जाए। वहीं दूसरी ओर PMGKAY के तहत सरकार ने गरीब लोगों को मुफ्त अनाज और भोजन देकर सुनिश्चित किया कि कोई भी आदमी भूखा न सोए।

गरीबों को मिला सरकार की रोजगार योजनाओं का फायदा :

आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना का फायदा 59,84,256 लाभार्थियों को मिला। इस योजना का इकोनॉमिक इम्पैक्ट 7 बिलियन डॉलर था। पीएम गरीब कल्याण रोजगार योजना के माध्यम से 40,62,400 लाभार्थियों को फायदा हुआ। इस योजना के तहत लोगों को 125 दिन का रोजगार मुहैया कराया गया। इस योजना का इकोनॉमिक इम्पैक्ट 4.81 बिलियन डॉलर था।

8 लाख से ज्यादा लोगों को मत्स्य संपदा योजना का फायदा :

कृषि सेक्टर के लिए चलाई गई योजनाओं में नाबार्ड योजना के तहत 30 हजार करोड़ (4.23 बिलियन डॉलर) स्वीकृत किए गए, जिसमें से 25,000 करोड़ सहकारी समितियों, जिला सहकारी समितियों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को बांटे गए। इसके अलावा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 8 लाख से ज्यादा लाभार्थियों को फायदा हुआ। इसके अलावा मछुआरों के कल्याण के लिए 361 करोड़ रुपए खर्च किए गए।

किसान क्रेडिट कार्ड योजना में 2.5 करोड़ लोगों को फायदा :

इसके अलावा 2 लाख करोड़ के किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत 2.5 करोड़ से ज्यादा किसानों को कवर किया गया। साथ ही ऑपरेशन ग्रीन योजना के तहत फल-सब्जियों के उत्पादकों को लॉकडाउन के दौरान हुए घाटे से उबारने और नुकसान से बचाने का काम किया गया। बता दें कि कोरोना से पहले इस योजना में टमाटर, प्याज और आलू ही शामिल थे। लेकिन बाद में इस योजना का विस्तार करते हुए इसमें 41 फल और सब्जियों (अल्पावधि) और 22 फल और सब्जियों (दीर्घकालिक) को भी शामिल किया गया।

वैक्सीनेशन ने बचाई 34 करोड़ से ज्यादा जिंदगियां :

लैंसेट मॉडलिंग स्टडी के अनुमान के मुताबिक, भारत में 2021 में वैक्सीनेशन के चलते करीब 34 करोड़, 22 लाख मौतों को रोका गया। यह अनुमान भारत में आधिकारिक रूप से रिपोर्ट की गई मौतों पर आधारित है। स्टडी के मुताबिक, वैक्सीनेशन के कारण बचाई गई जिंदगियों से संभावित आय 1.5 बिलियन डॉलर (11,000 करोड़ रुपए) है। वहीं, वैक्सीनेशन पर हुए खर्च से 8675 करोड़ रुपए (1.2 बिलियन डॉलर) का शुद्ध घाटा हुआ। अब अगर टोटल इम्पैक्ट की बात करें तो वैक्सीनेशन के कारण बचाई गई जिंदगी का मूल्य 3.87 बिलियन डॉलर (27,000 करोड़ रुपए) है। (मिनिमम वेज मेथड के उपयोग से)

वैक्सीनेशन से लोगों की जिंदगी और रोजी-रोटी दोनों बचीं :

इसके अलावा, वैक्सीनेशन ने बुजुर्गों की जिंदगी को भी बचाया। साथ ही इसने अप्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को चरमराने से रोकने में मदद की। ऐसे में, ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि जिंदगी और रोजी-रोटी दोनों को बचाने में भारत सरकार की वैक्सीनेशन ड्राइव काफी असरदार रही है।

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