गांव से निकला लड़का, फिर 5 लाख से कैसे खड़ी कर दी 7000 करोड़ की कंपनी

26 साल के फणींद्र सामा ने रेडबस जैसी कंपनी की नींव रखकर एक छोटी-सी पूंजी से बड़ा एम्पायर खड़ा किया। जानिए कैसे एक आम लड़के ने ऑनलाइन बस टिकटिंग प्लेटफॉर्म की दुनिया में तहलका मचा दिया।

बिजनेस डेस्क। कामयाब लोग कोई अलग काम नहीं करते, बल्कि उसी काम को अलग तरीके से करते हैं, ये बात 26 साल के फणींद्र सामा पर बिल्कुल सटीक बैठती है। स्टार्टअप की दुनिया में जाना-माना नाम बन चुके फणींद्र ऑनलाइन बस टिकटिंग प्लेटफॉर्म रेडबस के को-फाउंडर हैं। उन्होंने एक छोटी-सी पूंजी से बड़ा एम्पायर खड़ा किया। हालांकि, 2013 में उनकी कंपनी को Ibibo ग्रुप ने खरीद लिया था।

गांव में पले-बढ़े फणींद्र सामा
रेड बस कंपनी की नींव रखने वाले फणींद्र सामा का जन्म 15 अगस्त, 1980 को तेलंगाना के निजामाबाद जिले के एक गांव में हुआ था। फणींद्र सामा ने शुरुआती पढ़ाई गांव में करने के बाद बिड़ला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (BITS) से इंजीनियरिंग की डिग्री ली। 

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26 साल के लड़के को कैसे आया Redbus का आइडिया

पढ़ाई के दौरान ही 26 साल के फणींद्र सामा को अपने गांव जाना था। त्योहारी सीजन होने की वजह से उन्हें बस में टिकट पाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। जैसे-तैसे उन्हें बस में जगह तो मिल गई, लेकिन भारी भीड़ के चलते उनके दिमाग में एक आइडिया क्लिक कर गया। फणींद्र ने सोचा कि लोगों को टिकट पाने की जद्दोजहद से बचने के लिए क्यों न एक ऑनलाइन टिकटिंग प्लेटफॉर्म शुरू किया जाए।

3 दोस्तों के साथ मिलकर रखी RebBus की नींव

इसके बाद फणींद्र सामा ने बिड़ला इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी एंड साइंस (BITS) के अपने दो और दोस्तों सुधाकर पसुपुनुरी और चरण पद्मराजू से बात की। तीनों ने मिलकर इस आइडिया पर काम करना शुरू किया और 2006 में RebBus कंपनी की नींव रखी।

सिर्फ 5 लाख की पूंजी से शुरू किया बिजनेस

फणींद्र ने जब ये बिजनेस शुरू किया तो उनके पास महज 5 लाख रुपए की पूंजी थी। हालांकि, उन्होंने हौसला नहीं हारा और ठान ली कि किसी भी हाल में वो अपना स्टार्टअप जरूर शुरू करेंगे। शुरुआत में फणींद्र को भी फंड की दिक्कतों से जूझना पड़ा। हालांकि, उनका आइडिया इतना जबर्दस्त था कि कई लोगों ने इस कंपनी में पैसा लगाना शुरू किया। यहां तक कि 2007 में रेडबस को 10 लाख डॉलर की फंडिंग मिली।

5 लाख से शुरू हुई कंपनी देखते-देखते हो गई 7000 करोड़ की

2007 के बाद रेडबस के बिजनेस में तेजी से उछाल आया और देखते ही देखते ये कंपनी ऑनलाइन टिकटिंग में मार्केट लीडर बन गई। इतना ही नहीं, कंपनी की वैल्यूएशन भी 7000 करोड़ तक पहुंच गई। हालांकि, 2013 में रेडबस को साउथ अफ्रीका के नैस्पर्स और चीन के टेनसेंट के ज्‍वाइंट वेंचर Ibibo ग्रुप ने 828 करोड़ रुपये में खरीद लिया। रेडबस के अधिग्रहण के बाद भी फणींद्र कई सालों तक कंपनी से जुड़े रहे।

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