
ईरान-इज़राइल जंग का अभी भारत पर कोई खास असर नहीं हुआ है, लेकिन अगर हालात बिगड़ते हैं तो आम लोगों और निवेशकों की आर्थिक स्थिति पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि यह जंग आम लोगों को कैसे प्रभावित कर सकती है।
अगर जंग की वजह से पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और सीएनजी की कीमतें बढ़ती हैं, तो इसका सीधा असर घर के बजट पर पड़ेगा। भारत अपनी ज़रूरत का 90% कच्चा तेल और 50% प्राकृतिक गैस दूसरे देशों से आयात करता है। खबरों के मुताबिक, अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर हमले के बाद, ईरान ने दुनिया की 20% तेल और गैस आपूर्ति वाले होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का फैसला किया है। भारत रोजाना लगभग 55 लाख बैरल कच्चा तेल आयात करता है, जिसमें से लगभग 22 लाख बैरल होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर आता है। अगर जंग बढ़ती है, तो रसोई गैस (एलपीजी) और सीएनजी की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। भारत में इस्तेमाल होने वाले तीन एलपीजी सिलेंडर में से दो पश्चिम एशियाई देशों से आते हैं।
अगर ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य बंद कर देता है, तो भारत में ईंधन की कीमतें बढ़ सकती हैं। हालांकि, रूस, अमेरिका और ब्राजील जैसे देशों से आयात सहित कई विकल्प होने के कारण, भारत लंबे समय तक ईंधन संकट से बच सकता है। भारत को गैस की मुख्य आपूर्ति कतर से होती है, जो होर्मुज जलडमरूमध्य का इस्तेमाल नहीं करता। भारत ऑस्ट्रेलिया, रूस और अमेरिका से भी गैस आयात करता है।
अगर जंग बढ़ती है, तो ईंधन की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे महंगाई बढ़ेगी। महंगाई बढ़ने पर RBI रेपो रेट घटाना बंद कर सकता है या फिर हाल ही में घटाई गई रेपो रेट को वापस बढ़ाने पर विचार कर सकता है। ऐसे में लोन की ब्याज दरें फिर से बढ़ सकती हैं।
किसी भी तरह की जंग अर्थव्यवस्था और बाजार के लिए नुकसानदेह होती है, जिसका असर शेयर बाजार में निवेश करने वालों पर भी पड़ता है। अगर ईरान-इज़राइल जंग जल्दी खत्म नहीं होती है, तो शेयर बाजार में और उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। अगर जंग बढ़ती है, तो तेल, विमानन, पेट्रोकेमिकल्स, केमिकल्स, पेंट, टायर, ऑटोमोबाइल और उर्वरक कंपनियों पर असर पड़ सकता है। इनके शेयरों में उतार-चढ़ाव का असर न सिर्फ शेयरधारकों पर, बल्कि म्यूचुअल फंड के जरिए इन कंपनियों में निवेश करने वालों पर भी पड़ेगा। चूंकि ईरान भारत से सबसे ज्यादा बासमती चावल आयात करता है, इसलिए इस जंग का असर बासमती चावल के व्यापारियों पर भी पड़ेगा।
अगर जंग बढ़ती है और अमेरिका जैसे और देश सीधे तौर पर इसमें शामिल होते हैं, तो सोने की कीमतें बढ़ सकती हैं। हालांकि, ईरान-इज़राइल जंग से ज्यादा अमेरिका के बजट घाटे का सोने की कीमतों पर असर पड़ने की संभावना है। अगर यह जंग पूरी तरह से युद्ध में बदल जाती है, तो सोने की कीमतों में और तेजी आ सकती है।