जन्माष्टमी पर गोल्ड खरीदना है शुभ, लेकिन 5 गलतियां भूलकर भी न करें

Published : Aug 16, 2025, 01:32 PM IST

Janmashtami Gold Buying Tips: आज देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम है। इस अवसर पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है। इसका न सिर्फ धार्मिक महत्व है बल्कि यह आपके लिए फाइनेंशियल सेफ्टी भी है। अगर आप भी गोल्ड खरीदने जा रहे, तो 5 बातों का जरूर ध्यान रखें 

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गोल्ड की प्योरिटी (Gold Purity)

गोल्ड लेते समय सबसे पहली और जरूरी चीज प्योरिटी होती है। हमेशा BIS हॉलमार्क वाला सोना ही खरीदना चाहिए। इस पर कैरेट जैसे 22K-24K लिखा होता है। यह सोने की क्वालिटी असली होने और मिलावट न होने की गारंटी होता है। बिना हॉलमार्क वाला सोना लेने से बचें, क्योंकि बाद में बेचने या गिरवी रखने पर नुकसान हो सकता है। इसके साथ ही, हॉलमार्किंग नंबर और ज्वैलर का आईडी भी जरूर चेक करें, ताकि सोने की असलियत पर कोई शक न रहे।

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गोल्ड का प्राइस और मेकिंग चार्ज चेक करें (Gold Price and Making Charges)

फेस्टिवल्स पर ज्वैलर्स अक्सर गोल्ड रेट्स और मेकिंग चार्ज अलग-अलग रखते हैं। गोल्ड का प्राइस हर दिन बदलता है, इसलिए खरीदने से पहले आज का सोने का भाव जरूर चेक करें। मेकिंग चार्ज 5% से 25% तक हो सकता है। इसे कम कराने की कोशिश करें। अलग-अलग ज्वैलर्स से तुलना करना फायदेमंद रहेगा। स्मार्ट बायर वही है जो सिर्फ भाव देखकर नहीं, बल्कि मेकिंग चार्ज पर भी निगोशिएट करे।

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फिजिकल गोल्ड या डिजिटल गोल्ड कौन सा सही? (Physical Gold vs Digital Gold)

आजकल गोल्ड खरीदने के कई ऑप्शन मौजूद हैं, जिन्हें आप अपनी जरूरत और मकसद के हिसाब से चुन सकते हैं। अगर आपको पहनने या गिफ्ट देने के लिए सोना चाहिए तो फिजिकल गोल्ड (ज्वेलरी, कॉइन) सबसे बेहतर विकल्प है। वहीं, आसान और छोटे अमाउंट में निवेश करने के लिए डिजिटल गोल्ड (Paytm, Google Pay, PhonePe जैसे प्लेटफॉर्म पर) सही है।

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गोल्ड खरीदने की रसीद और बिल लें

कई लोग सिर्फ भरोसे पर ज्वेलर से सोना खरीद लेते हैं, लेकिन ऐसा करना रिस्की है। हमेशा प्रॉपर बिल या इनवॉइस लें। बिल में गोल्ड का रेट, प्योरिटी, वजन और मेकिंग चार्ज साफ लिखा होना चाहिए। यह रसीद बाद में बेचने या एक्सचेंज करने पर काम आती है। बिना बिल का सोना खरीदना आपको कानूनी और आर्थिक नुकसान दे सकता है।

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निवेश और रिसेल वैल्यू का ध्यान रखें (Gold Investment and Resale Value)

सोना सिर्फ पहनने की चीज नहीं, बल्कि फाइनेंशियल एसेट भी है। अगर इन्वेस्टमेंट के लिए खरीद रहे हैं तो कॉइन्स, बार बेहतर होते हैं। ज्वेलरी में मेकिंग चार्ज और डिजाइन चार्ज कट जाता है, जिससे रिसेल करने पर काफी नुकसान हो सकता है। इसलिए गोल्ड को जब भी खरीदें तो लॉन्ग-टर्म एसेट समझकर ही लें। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि आपकी कुल इन्वेस्टमेंट का 10 से 15% हिस्सा गोल्ड में होना चाहिए।

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