कल्पना सरोज का नाम जेहन में आते ही एक ऐसी महिला का चेहरा घूमन लगता है, जिसने शून्य से शिखर तक का सफर तय किया है। जी हां कभी मात्र 2 रुपए के लिए परेशान यह महिला 3000 करोड़ की मालकिन है।
Kalpna Saroj Success Story. भारत की पहली महिला एंटरप्रेन्योर कल्पना सरोज की लाइफ ऐसी रही है कि कोई भी उनके संघर्षों को जानकर उन्हें सलाम करेगा। जी हां, कम उम्र में शादी हो जाना फिर घरेलू हिंसा का शिकार बनना और मुंबई में 2 रुपए का काम करना, यह कुछ ऐसी बातें जिसके बाद कोई बड़ा करने की कल्पना भी नहीं कर सकता है। लेकिन कल्पना सरोज अलग ही मिट्टी की बनी हुईं हैं। आज उनके नाम भारत की पहली महिला एंटरप्रेन्योर बनने का रिकॉर्ड दर्ज है और नेटवर्थ लाख, दो लाख नहीं बल्कि 3000 करोड़ है।
कौन हैं पहली महिला एंटरप्रेन्योर कल्पना सरोज
कल्पना का जन्म महाराष्ट्र के अकोला में 1961 में हुआ और इनके पिता पुलिस कांस्टेबल थे। उस वक्त का वेतन 300 रुपए था और इसी से पूरे परिवार का खर्च चलता था। 12 साल की उम्र में ही कल्पना की शादी उनसे 10 साल बड़े व्यक्ति से कर दी गई। ससुराल पहुंची तो वहां पर उनके साथ अत्याचार होने लगे। विवाह के 6 महीने बाद ही बेटी की हालत देखकर उनके पिता वापस घर ले गए लेकिन गांव वालों ने ही इसका विरोध कर दिया।
रोजाना 2 रुपए वेतन पर की नौकरी
कल्पना पढ़ी लिखी नहीं थी इसलिए उन्हें जल्दी नौकरी भी नहीं मिल रही थी। फिर उन्हें मुंबई में धागा काटने वाली मशीन चलाने के लिए 2 रुपए रोज का काम मिल गया। कल्पना ने फिर सिलाई का काम शुरू कर दिया और उन्हें करीब 200 रुपए मिलने लगे, इससे बड़ी राहत मिली और जिंदगी की गाड़ी चल निकली। इसी बीच कल्पना की बहन की मौत सिर्फ इसलिए हो गई कि उनके पास ईलाज के पैसे नहीं थे। यही बात कल्पना को लग गई और उन्होंने तय कर लिया कि बेतहासा पैसा कमाना है।
लोन लेकर शुरू किया बिजनेस
कल्पना ने सोच लिया था कि नौकरी से ज्यादा कमाई नहीं हो पाएगी और उन्हें बिजनेस करना होगा। फिर से सरकारी लोन के बारे में जानकारी जुटाने लगीं। इसी दौरान महाराष्ट्र सरकार ने महात्मा ज्योतिबा फुले योजना के तहत 50 हजार का लोन देने की योजना शुरू की। तब कल्पना ने यह लोन लेकर फर्नीचर का बिजनेस स्टार्ट कर दिया। फिर एक बुटीक खोला और ब्यूटी पार्लर भी शुरू किया। धीरे-धीरे इनका नाम मुंबई में बढ़ गया।
बंद पड़ी कंपनी की मालकिन बनीं
सुप्रीम कोर्ट ने 17 साल से बंद पड़ी कमानी ट्यूब्स कंपनी का मालिकाना हक वर्कर्स को दे दिया। ये वर्कर्स कल्पना के पास पहुंचे और मदद मांगी कल्पना ने कंपनी के सारे कर्ज और विवादों को खत्म किया और कंपनी की मालकिन बन गईं। आज उसी कंपनी का सालाना टर्नओवर 3000 करोड़ के आगे चला गया है।
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