उपयोगकर्ताओं की यह जानकारी गलत हाथों में पड़ने पर कई तरह की परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। ऐसे में कई शिकायतें सामने आई हैं.
केवाईसी अपडेट के नाम पर कई तरह के फ्रॉड हो रहे हैं। केवाईसी, यानी 'नो योर कस्टमर' एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह उपयोगकर्ताओं की पहचान सत्यापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे बैंकिंग क्षेत्र में धोखाधड़ी को कम करने में मदद मिलती है।
उपयोगकर्ताओं की यह जानकारी गलत हाथों में पड़ने पर कई तरह की परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। ऐसे में कई शिकायतें सामने आई हैं। ऐसे में नुकसान से बचने और खुद को धोखाधड़ी से बचाने के लिए जागरूकता जरूरी है।
धोखाधड़ी करने वाले पहले ग्राहकों को फोन कॉल, एसएमएस या ईमेल के जरिए मैसेज भेजते हैं। इसके जरिए वे ग्राहकों की निजी जानकारी हासिल करके उन्हें अपने जाल में फंसाने की कोशिश करते हैं। इसके साथ ही वे उनके अकाउंट के लॉग इन डिटेल्स मांगते हैं या लिंक भेजकर उनके मोबाइल फोन में फर्जी ऐप इंस्टॉल कराते हैं।
ऐसे मैसेज में, अगर ग्राहक उनकी बात नहीं मानता है, तो वे अनावश्यक जल्दबाजी दिखाने की कोशिश करते हैं या अकाउंट ब्लॉक या फ्रीज करने की धमकी देकर ग्राहक पर दबाव बनाते हैं। ग्राहक जब अपनी महत्वपूर्ण निजी जानकारी या लॉग इन डिटेल्स शेयर करता है, तो धोखेबाज को अकाउंट तक एक्सेस मिल जाता है और फिर वह धोखाधड़ी को अंजाम देता है।
वित्तीय साइबर धोखाधड़ी के मामलों में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) पर या 1930 साइबर क्राइम हेल्पलाइन डायल करके तुरंत शिकायत दर्ज कराने का निर्देश दिया है। आरबीआई ने क्या करें और क्या न करें, इसके बारे में भी दिशानिर्देश जारी किए हैं।
क्या करें?
जब केवाईसी अपडेट के लिए अनुरोध किया जाए, तो सबसे पहले अपने बैंक या वित्तीय संस्थान से सीधे संपर्क करें और सहायता लें.
बैंकों और वित्तीय संस्थानों के कॉन्टैक्ट नंबर या कस्टमर केयर फोन नंबर केवल आधिकारिक वेबसाइटों और स्रोतों से ही प्राप्त करें.
साइबर धोखाधड़ी होने पर तुरंत बैंक या वित्तीय संस्थान को सूचित करें.
क्या न करें?
बैंक अकाउंट लॉग इन डिटेल्स, कार्ड की जानकारी, पिन, पासवर्ड, ओटीपी आदि किसी के साथ शेयर न करें.
केवाईसी दस्तावेज की कॉपी किसी भी अज्ञात व्यक्ति या संस्था के साथ शेयर न करें.
किसी भी असत्यापित अनधिकृत वेबसाइट या एप्लिकेशन के माध्यम से कोई भी संवेदनशील डेटा जानकारी शेयर न करें.
मोबाइल या ईमेल पर प्राप्त होने वाले किसी भी संदिग्ध या असत्यापित लिंक पर क्लिक न करें.