लिंक्डइन के को-फाउंडर रीड हॉफमैन ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के मानव जीवन पर पड़ते प्रभाव पर अपनी राय देते हुए बताया कि कैसे वर्क कल्चर में एआई क्रांति ला सकता है और मानव जीवन को बदलने में सहायक हो सकता।
AI driven Workforce: AI के लांच होने से वर्क कल्चर में काफी बदलाव होने लगे हैं। लिंक्डइन के को-फाउंडर रीड हॉफमैन ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ड्रिवेन वर्कफोर्स बहुत ही डायनेमिक तरीके से चेंज ला रहा है जिसका असर 9-5 जॉब पर भी पड़ेगा। 2034 तक 9-5 जॉब अतीत बन जाएगा। उन्होंने कहा कि एआई मनुष्य के जीवन को आसान बनाएगी न कि वर्कफोर्स से उसे रिप्लेस करेगी।
लिंक्डइन के को-फाउंडर रीड हॉफमैन का मानना है कि अगले तीन दशकों में वर्कफोर्स में एआई और ऑटोमेशन का सबसे अधिक प्रभाव हो जाएगा। इसका नतीजा यह होगा कि 9-5 के जॉब्स खत्म हो जांएगे। एआई इवोलुशन तेजी से हो रहा है और इसका नतीजा यह होगा कि भविष्य का वर्क कल्चर काफी बदल जाएगा। हालांकि, एआाई मानव के उत्थान में सहायक होना चाहिए न कि रिप्लेसमेंट मे लिए।
मनुष्य की तरह एआई रोबोट करेगा रिस्पांड
हॉफमैन एक सेमीनार में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सॉफ्टवेयर और रोबोट के साथ एआई इतनी एडवांस स्टेज में है जो मानवीय बातचीत को सुनकर उसे मनुष्य की तरह प्रतिक्रिया भी देती है। यह अद्भुत है। यह बेहद रोमांच पैदा करने वाली प्रगति है क्योंकि यह मनुष्य और एआई रोबोट के कनेक्शन अकेलेपन को दूर करने में काफी सहायक हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि कंपनियों का एक बड़ा हिस्सा अब एआई को अपने डेली ऑपरेशन्स में शामिल कर रहा हैं। एआई टेक्निक्स, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स और ऑटोमेशन के काम को अधिक सटीक और तेजी से करने में सक्षम हैं। इससे एम्पलाई अपने समय का उपयोग क्रिएटिविटी के लिए कर सकता है।
मानव संसाधन का उपयोग प्रभावी तरीके से हो सकेगा
एआई के प्रभावी उपयोग से मानव संसाधनों का सही तरीके से उपयोग संभव हो सकता है। कर्मचारियों का भी वर्कलोड कम हो सकता है। एम्पलाई और अधिक क्रिएटिविटी पर फोकस कर सकते हैं। इससे इनोवेशन बढ़ने की गुंजाइश है। इसके अलावा डेटा प्राइवेसी, एआई एथिक्स का मुद्दा चिंतित तो करेगा ही नौकरियों पर भी संकट मंडरा सकती है।
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