क्या है इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन बिल, जानें कैसे एयरफोर्स-आर्मी और नेवी को बनाएगा दुनिया की सबसे ताकतवर सेना

मोदी सरकार भारतीय सेना को और ज्यादा मजबूत और एडवांस बनाने के लिए एक नया बिल लाई है, जिसका नाम इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन (कमांड, कंट्रोल एंड डिसीप्लेन) बिल 2023 है। ये बिल लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पास हो चुका है। आइए जानते हैं क्या है ये बिल। 

Inter Service Organisation Bill 2023: मोदी सरकार भारतीय सेना को और ज्यादा मजबूत और एडवांस बनाने के लिए एक नया बिल लाई है, जिसका नाम इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन (कमांड, कंट्रोल एंड डिसीप्लेन) बिल 2023 है। ये बिल लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पास हो चुका है। अब इसे कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मुहर लगते ही यह कानून बन जाएगा।

क्या है इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन बिल 2023 का मकसद

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- बता दें कि इस बिल का उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल बनाने के साथ ही इन्हें पहले से ज्यादा एडवांस बनाना है।

- इस बिल के तहत सरकार एक इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन (ISO) का गठन कर सकती है। इसमें तीनों सेनाओं से दो-दो अधिकारी शामिल होंगें।

- इस बिल से इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन के 'कमांडर-इन-चीफ' और 'ऑफिसर-इन-कमांड' के पास डिसिप्लिनरी और एडमिनिस्ट्रेटिव पावर होगी।

- बता दें कि अब तक थल सेना के कर्मचारियों पर थलसेना एक्ट 1950, वायुसेना के कर्मचारियों पर एयरफोर्स एक्ट 1950 और नौसेना के कर्मियों पर नेवी एक्ट 1957 लागू होता है। ऐसे में अगर किसी कर्मचारी पर एक्शन लेना हो तो इन्हीं कानूनों के आधार पर तय होता था। हालांकि, अब किसी भी सेना से जुड़े कर्मचारी पर एक्शन के लिए एक ही कानून लागू होगा।

भविष्य में बन सकता है 'थिएटर कमांड'

बता दें कि इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन बिल 2023 पास होने के बाद भविष्य में देश के अंदर थिएटर कमांड बनाई जा सकती है। बता दें कि देश में लंबे समय से थिएटर कमांड की मांग है। भारत के पहले CDS (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) जनरल विपिन रावत थिएटर कमांड की दिशा पर काम कर रहे थे। बिपिन रावत के निधन के बाद दूसरे CDS बने जनरल अनिल चौहान ने भी तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ थिएटर कमांड पर काम करने के लिए कहा था।

आखिर क्या है थिएटर कमांड?

- थिएटर कमांड एक तरह से युद्ध के समय तीनों सेनाओं (आर्मी, एयरफोर्स और नेवी) के बीच बेहतर तालमेल बनाने का काम करता है। इससे दुश्मन पर सटीक युद्धनीति से वार कर उसे नेस्तनाबूद करना आसान होता है। इसके साथ ही थिएटर कमांड में तीनों सेनाओं के संसाधनों का इस्तेमाल एक साथ किया जा सकता है। साथ ही बेहतर तालमेल के जरिए सेनाएं मनमुताबिक रिजल्ट पाने की दिशा में काम कर सकती हैं।

क्यों उठ रही थिएटर कमांड की मांग?

- 1999 में करगिल में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद से ही थिएटर कमांड और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की मांग उठने लगी थी।

- 15 अगस्त 2019 को पीएम मोदी ने कहा था कि जिस तरह से टेक्नोलॉजी के साथ युद्ध की रणनीतियां बदल रही हैं, अब हमें पूरी एकजुटता के साथ दुश्मन को खत्म करना होगा।

- पीएम मोदी ने कहा था- तीनों सेनाओं में तालमेल बनाए बिना हम अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते। ऐसा नहीं हो सकता कि एक सेना आगे रहे, दूसरी दो कदम पीछे और तीसरी तीन कदम पीछे। तीनों सेनाओं को मिलकर एक ही उद्देश्य के लिए आगे बढ़ना जरूरी है। अभी भारत के पास करीब 15 लाख सैन्य बल है। इन्हें एक साथ लाने के लिए थिएटर कमांड की जरूरत है।

जानें किस देश के पास कितनी थिएटर कमांड्स? 

बता दें कि भारत में अभी तीनों सेनाओं को मिलाकर कुल 17 कमांड्स हैं। इनमें थल सेना और वायुसेना के पास 7-7 कमांड्स हैं। वहीं नौसेना के पास 3 कमांड हैं। देश में फिलहाल एक ही थिएटर कमांड है, जिसकी स्थापना 2001 में अंडमान निकोबार में की गई थी। बता दें कि अमेरिका के पास 11, चीन के पास 5 और रूस के पास 4 थिएटर कमांड्स हैं।

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