BSNL और MTNL में 10 साल का एग्रीमेंट, कंपनी बोर्ड ने दी समझौते को हरी झंडी

टेलीकॉम क्षेत्र में नए सहयोग की शुरुआत करते हुए, महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) ने सरकारी स्वामित्व वाली भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के साथ 10 साल के सेवा समझौते को मंजूरी दे दी है।

Sushil Tiwari | Published : Aug 15, 2024 5:57 AM IST / Updated: Aug 15 2024, 11:50 AM IST

दिल्ली: भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के साथ 10 साल के सेवा समझौते पर महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) ने हस्ताक्षर किए हैं। महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड और भारत संचार निगम लिमिटेड देश के दो प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के दूरसंचार सेवा प्रदाता हैं।

MTNL बोर्ड ने दी समझौते को हरी झंडी
टेलीकॉम क्षेत्र में नए सहयोग की शुरुआत करते हुए बीएसएनएल के साथ 10 साल के सेवा समझौते को मंजूरी देने के लिए एमटीएनएल बोर्ड ने हरी झंडी दिखा दी है। दोनों कंपनियों की जरूरत के अनुसार कॉन्ट्रैक्ट की अवधि बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए केवल दूरसंचार मंत्रालय और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय से अनुमति लेनी होगी। हालांकि, एक महीने का पूर्व नोटिस दिए बिना अनुबंध रद्द नहीं किया जा सकता है। 

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दिल्ली और मुंबई के मेट्रो शहरों में दूरसंचार सेवाएं देती है MTNL
वर्तमान में, एमटीएनएल दिल्ली और मुंबई के मेट्रो शहरों में दूरसंचार सेवाएं प्रदान करता है, जबकि बीएसएनएल अन्य सभी क्षेत्रों में काम करता है। बोर्ड ने महानगर टेलीफोन (मॉरीशस) लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी बेचने की भी मंजूरी दे दी है। यह एमटीएनएल की एक सहायक कंपनी है। गौरतलब है कि बोर्ड ने एमटीएनएल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एमटीडीएल (मिलेनियम टेलीकॉम लिमिटेड) को बंद करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।

प्राइवेट कंपनियों के महंगे टैरिफ के चलते BSNL में पोर्ट करा रहे ग्राहक
4जी सेवाएं शुरू करने में देरी के कारण, बीएसएनएल और एमटीएनएल निजी कंपनियों के साथ कॉम्पिटीशन करने में असमर्थ थे। निजी कंपनियां 5जी सेवाएं शुरू कर रही हैं, जबकि बीएसएनएल अपनी 4जी सेवाओं को पूरी तरह से चालू भी नहीं कर पाई है। इस बीच, निजी दूरसंचार कंपनियों द्वारा टैरिफ दरों में वृद्धि के कारण, बड़ी संख्या में ग्राहक बीएसएनएल में पोर्ट कर रहे हैं। हालांकि, उन्हें बनाए रखने के लिए, बीएसएनएल को अपनी 4जी सेवाओं को तेजी से चालू करना होगा और उसके बाद 5जी सेवाओं को भी चालू करना होगा। बता दें कि सरकार पहले बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय पर विचार कर रही थी, लेकिन एमटीएनएल पर भारी कर्ज के बोझ के कारण इस योजना को रोक दिया गया था।

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