ऑनलाइन गेम्स की कमाई पर 30% टैक्स से बचने का कोई तरीका है क्या?

Published : Aug 25, 2025, 08:25 PM IST

Gaming Income Tax Rules: ऑनलाइन गेमिंग और लॉटरी में बढ़ती दिलचस्पी से टैक्स विभाग इस पर नजर रख रहा है।करोड़ों की कमाई की वजह से यहां टैक्स नियम थोड़े अलग हैं। अगर आप गेमिंग या लॉटरी में पैसा जीतते हैं, तो जानिए कितना टैक्स देना होगा और 5 जरूरी बातें 

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ऑनलाइन गेम्स में जीत पर 30% टैक्स कैसे लगता है?

लॉटरी, ऑनलाइन गेम्स, बेटिंग, हॉर्स रेस या क्रॉसवर्ड जैसी गतिविधियों से हुई कोई भी कमाई या इनकम सेक्शन 115BB के तहत 30% फ्लैट टैक्स के दायरे में आती है। यह टैक्स रेट इनकम की कैटेगरी या लेवल से अलग नहीं है। चाहे आपकी सालाना इनकम कम हो या ज्यादा, 30% टैक्स लागू होगा।

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क्या ऑनलाइन गेमिंग इनकम पर कोई छूट या स्लैब बेनिफिट मिलता है?

अन्य इनकम सोर्सेज की तरह यहां बेसिक एक्सेम्प्शन या स्लैब का लाभ नहीं मिलता। अगर आपके पास अन्य सोर्स से कोई इनकम नहीं है, तब भी पूरी जीती हुई रकम पर 30% टैक्स लगेगा। इसका मतलब है कि यह टैक्स नियम बेहद सख्त है और आपको पूरी राशि के लिए टैक्स चुकाना होगा।

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ऑनलाइन गेम्स से कमाई पर TDS कटौती कैसे होती है?

अगर इनाम की राशि 10 हजार रुपए से ज्यादा होती है, तो आयोजक या प्लेटफॉर्म को कानूनी तौर पर 30% टैक्स पहले ही काटना होता है। इसके बाद ही विजेता को नेट अमाउंट मिलता है। TDS की जानकारी Form 26AS में रिकॉर्ड होती है, इसलिए टैक्स रिटर्न भरते समय इसे सही तरीके से दिखाना जरूरी है।

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क्या गेमिंग या लॉटरी में किए गए खर्च और एंट्री फीस को टैक्स से घटाया जा सकता है?

गेमिंग में एंट्री फीस, सब्सक्रिप्शन चार्ज या फिर अन्य खर्चे इनकम से नहीं घटाए जा सकते हैं। सेक्शन 80C और 80U के तहत मिलने वाली आम छूट और डिडक्शन भी इस पर लागू नहीं होती है। यानी इस इनकम पर किसी तरह की भी छूट या डिडक्शन नहीं मिलता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, ‘लॉटरी, ऑनलाइन गेम्स या बेटिंग से हुई जीत पर फ्लैट 30% टैक्स लागू है, कोई एक्सेम्प्शन या डिडक्शन नहीं है। बेसिक स्लैब या छूट भी लागू नहीं होती, इसलिए टैक्सपेयर को इनकम सही तरीके से बताना बेहद जरूरी है।’

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गेमिंग और लॉटरी इनकम को टैक्स रिटर्न में कैसे सही तरीके से दिखाएं?

गेमिंग और लॉटरी से हुई सभी इनकम को 'इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेस' के तहत टैक्स रिटर्न में दिखाना अनिवार्य है। सही तरीके से घोषणा करना जरूरी है, क्योंकि नॉन-डिक्लरेशन पर पेनल्टी और विभागीय जांच की संभावना बढ़ जाती है। खासकर अब गेमिंग ट्रांजैक्शन की डिजिटाइजेशन बढ़ गई है, इसलिए पूरी जानकारी देना जरूरी है।

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