पतंजलि ने सभी च्यवनप्राश ब्रांड्स को 'धोखा' कहा, हाईकोर्ट ने पूछा क्यों? जानें पूरा विवाद

Published : Nov 06, 2025, 10:35 PM IST
Patanjali Chyawanprash Controversy

सार

Patanjali Chyawanprash Controversy: पतंजलि और डाबर के बीच च्यवनप्राश विवाद अब हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। डाबर का आरोप है कि पतंजलि ने झूठे दावे किए और भ्रामक प्रचार किया। जबकि पतंजलि विज्ञापन को पफरी और हाइपरबोले बता रही है।

Patanjali vs Dabur Chyawanprash Controversy: योग गुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) एक बार फिर विवादों में है। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कंपनी से सवाल किया कि कैसे वह अपने च्यवनप्राश को बेहतरीन बताते हुए सभी अन्य ब्रांड्स को 'धोखा' कह सकती है। यह सुनवाई डाबर इंडिया (Dabur India) के उस याचिका पर हुई, जिसमें उसने पतंजलि पर विज्ञापन को लेकर अस्थायी रोक लगाने की मांग की। जस्टिस तेजस करिया ने स्पष्ट किया कि पतंजलि अपना च्यवनप्राश सबसे अच्छा कह सकती है, लेकिन यह नहीं कह सकती कि अन्य सभी 'धोखा' हैं।

पतंजलि से सख्त सवाल

जस्टिस करिया ने पतंजलि से पूछा, 'आप कह रहे हैं कि हर कोई 'धोखा' है और मैं सच्चा हूं। आप सभी अन्य च्यवनप्राश को धोखा कैसे कह सकते हैं? आप कह सकते हैं कि वे कमजोर हैं, लेकिन धोखा नहीं… क्या डिक्शनरी में 'धोखा' के अलावा कोई और शब्द नहीं है?' उन्होंने आगे कहा कि ‘धोखा’ नकारात्मक और अपमानजनक शब्द है और ऐसा कहने से लोगों में भ्रम और डर फैल सकता है।'

डाबर का क्या आरोप है?

डाबर का कहना है कि पतंजलि ने झूठे दावे किए हैं, जैसे कि उनके च्यवनप्राश में '51 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और केसर' शामिल हैं, जबकि 2014 में सरकार ने इस दावे को भ्रामक करार दिया था। इसके अलावा, डाबर ने कहा कि 'स्पेशल' शब्द का इस्तेमाल एक क्लासिकल आयुर्वेदिक दवा के लिए नियम 157(1-B) का उल्लंघन है, जो भ्रामक लेबलिंग पर रोक लगाता है। सीनियर एडवोकेट संदीप सेठी ने कहा कि च्यवनप्राश एक कैटेगरी का प्रोडक्ट है और पतंजलि ने जब सभी अन्य च्यवनप्राश को 'धोखा' कहा, तो उन्होंने पूरी कैटेगरी का अपमान किया। किसी को 'धोखा' कहना अपमानजनक है। वे कह सकते हैं 'मैं आपको नहीं पहचानता', लेकिन उन्होंने सबको एक ही ब्रश से रंग दिया। और यह योग गुरु जैसे विश्वसनीय व्यक्ति से आने पर और गंभीर मामला बन जाता है।

पतंजलि ने क्या कहा?

पतंजलि की तरफ से सीनियर एडवोकेट राजीव नायर ने कहा कि विज्ञापन 'पफरी और हाइपरबोले' के तहत आता है, जिसे कानून मानता है। उन्होंने कहा, 'मैं यह नहीं कह रहा कि सभी अन्य च्यवनप्राश बेकार हैं। मैं यह कहना चाहता हूं कि दूसरों को भूलो, सिर्फ मेरा इस्तेमाल करो। मैं अपने प्रोडक्ट को सबसे अच्छा कह सकता हूं।' उन्होंने डाबर पर आरोप लगाया कि वे बहुत अधिक संवेदनशील हैं, जबकि उनका विज्ञापन सिर्फ तुलना और प्रचार का तरीका है।

 

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