अनिल अंबानी ग्रुप पर और ज्यादा सख्ती! अब SFIO करेगी करोड़ों के फंड डायवर्जन की जांच

Published : Nov 05, 2025, 04:51 PM IST
Anil Ambani Reliance Group Scam

सार

RCom Fund Diversion Investigation: अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप कंपनियों पर जांच और सख्त हो गई है। MCA की शुरुआती जांच में फंड डायवर्जन के संकेत मिलने पर मामला अब SFIO को सौंप दिया गया है। इससे पहले ED करीब 7,500 करोड़ की संपत्तियां अटैच कर चुका है।

Anil Ambani Reliance Group Scam: अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप कंपनियों पर रेगुलेटरी जांच का दायरा और कड़ा हो गया है। पहले से ही ED, CBI और SEBI की जांच झेल रहे इस ग्रुप पर अब कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय (MCA) ने भी गंभीर कदम उठाए हैं। मंत्रालय की शुरुआती जांच में फंड डायवर्जन और अकाउंटिंग गड़बड़ियों के बड़े संकेत मिलने के बाद अब यह केस सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) को सौंप दिया गया है। इससे साफ है कि मामला अब और गंभीर कार्रवाई की दिशा में बढ़ चुका है।

अनिल अंबानी केस क्या है?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और CLE प्राइवेट लिमिटेड समेत कई कंपनियों में बड़े पैमाने पर फंड्स की आवाजाही में गड़बड़ी की आशंका है। MCA की प्राथमिक जांच में पाया गया कि फंड्स को संबंधित पार्टियों और समूह कंपनियों में ट्रांसफर किया गया, लोन की शर्तों का पालन नहीं किया गया और कुछ रकम विदेशों में भी ट्रांसफर हुई बताई जा रही है। यही कारण है कि अब SFIO सीधे मैनेजमेंट लेवल पर जिम्मेदारी तय करेगा।

अनिल अंबानी की 7,500 करोड़ की संपत्ति अटैच

यह कदम ऐसे समय आया है जब ED पहले से ही रिलायंस ग्रुप पर शिकंजा कस रही है। इस हफ्ते ED ने लगभग 7,500 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्तियों को अटैच कर दिया। इन संपत्तियों में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की 30 प्रॉपर्टी, विहान43 रियल्टी, गेम्सा इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट, आधार प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी, कैंपियन प्रॉपर्टीज और अन्य संबंधित संस्थाएं शामिल हैं। यह कार्रवाई मल्टी-करोड़ बैंक फ्रॉड केस से जुड़ी है।

अनिल अंबानी पर किस लोन केस में हो रही है कार्रवाई?

ED का आरोप है कि, 2010 से 2012 के बीच RCOM और उसकी समूह कंपनियों ने भारतीय बैंकों से हजारों करोड़ का लोन उठाया। कुल बकाया 40,185 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। इनमें से केवल 19,694 करोड़ रुपए आज भी बकाया हैं। 5 बैंकों ने इन खातों को फ्रॉड घोषित कर दिया है। ED का आरोप है कि यह पैसा बिजनेस में इस्तेमाल नहीं हुआ, बल्कि पुराने लोन चुकाने और लायबिलिटीज को एवरग्रीन दिखाने में लगाया गया यानी कंपनी अपने असली घाटे और वित्तीय स्थिति को छिपाती रही।

CBI और SFIO की एंट्री

अगस्त में CBI और ED ने अनिल अंबानी और ग्रुप अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी एक सीनियर फाइनेंस ऑफिसर को बाद में गिरफ्तार भी किया गया था। अब MCA द्वारा केस को SFIO को सौंपना दिखाता है कि सरकार स्तर पर जांच और सख्त होने जा रही है।

अनिल अंबानी की कंपनियों की स्थिति

कंपनियों की वित्तीय स्थिति पहले से ही दबाव में है। रिलायंस कम्युनिकेशंस पहले ही दिवालिया प्रक्रिया में है। कई अन्य कंपनियां लेंडर्स, NCLT और एनफोर्समेंट मामलों में फंसी हुई हैं इस ताजा जांच के बाद कानूनी कार्रवाई तेज हो सकती है, संपत्तियों की और अटैचमेंट संभव है और टॉप मैनेजमेंट पर भी व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय हो सकती है।

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