भारत में 40% से ज्यादा गरीब परिवारों के पास अपनी गाड़ियां, 10 साल में 34% ग्रोथ

पिछले 10 साल में देखें तो भारत की 20% अति गरीब आबादी के पास निजी वाहनों (बाइक, स्कूटर, कार या जीप) की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। पहले की तुलना में अब 40% गरीब लोगों के पास अपने प्राइवेट व्हीकल हैं।

Poorest Households that owned a vehicle in india: भारत की 20 प्रतिशत गरीब आबादी के लिहाज से मोदी सरकार के पिछले 10 साल बेहद उल्लेखनीय रहे हैं। 2011-12 में जहां सिर्फ 6% गरीब परिवारों के पास अपनी खुद की मोटरसाइकिल, स्कूटर, कार या जीप होती थी, वहीं 2022-23 में अब 40% गरीब परिवारों के पास अपने ये निजी वाहन हैं। राज्यवार देखें तो ये पंजाब में ये आंकड़ा सबसे ज्यादा है। पंजाब के ग्रामीण इलाकों में जहां 2011-12 में सिर्फ 15.5% गरीब परिवारों के पास अपने निजी वाहन थे, वहीं 2022-23 में ये आंकड़ा बढ़कर 62.5% तक पहुंच गया।

पंजाब के शहरी इलाकों में 65.7% लोगों के पास खुद के वाहन

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सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब के शहरी इलाकों में 2011-12 में जहां सिर्फ 14 प्रतिशत लोगों के पास अपने वाहन थे, वहीं 2022-23 में ये आंकड़ा बढ़कर 65.7 प्रतिशत तक पहुंच गया। इसके साथ ही भारत के सभी राज्यों में पंजाब अव्वल है।

ग्रामीण इलाकों में दूसरे नंबर पर कर्नाटक तो शहरों में मध्य प्रदेश

ग्रामीण इलाकों में लोगों के पास निजी वाहनों की बात करें तो पंजाब के बाद कर्नाटक दूसरे नंबर पर है। 2011-12 में कर्नाटक की सिर्फ 3.3 प्रतिशत गरीब आबादी के पास निजी वाहन थे, वहीं 2022-23 में 56.6 प्रतिशत लोगों के पास अपने वाहन हैं। इसी तरह, शहरी इलाकों के मामले में मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है। यहां 2011-12 में जहां 7.2 प्रतिशत गरीब शहरी आबादी के पास निजी वाहन थे, तो वहीं 2022-23 में ये आंकड़ा बढ़कर 62 प्रतिशत तक पहुंच गया।

इन राज्यों के ग्रामीण इलाकों में तेजी से बढ़ी निजी वाहनों की संख्या

ग्रामीण इलाकों में 2011-12 और 2022-23 में निजी वाहनों के प्रतिशत के मामले में तीसरे नंबर पर तमिलनाडु, चौथे पर गुजरात, पांचवे पर केरल, छठे पर राजस्थान, सातवें पर आंध्र प्रदेश, आठवें पर मध्य प्रदेश, नौवें पर हरियाणा और दसवें पर महाराष्ट्र का नंबर है।

इन स्टेट के शहरी इलाकों में लोगों के पास बढ़े अपने वाहन

इसी तरह शहरी इलाकों में 2011-12 और 2022-23 में निजी वाहनों के प्रतिशत के मामले में तीसरे नंबर पर कर्नाटक, चौथे पर गुजरात, पांचवे पर तमिलनाडु, छठे पर आंध्र प्रदेश, सातवें पर केरल, आठवें पर महाराष्ट्र, नौवें पर हरियाणा और दसवें नंबर पर राजस्थान का नाम है।

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