पुणे का सबसे पुराना गणपति मंडल : 30 Kg सोने-चांदी से बप्पा का श्रृंगार, भव्य होता है गणेश उत्सव

पुणे में अद्भुत और भव्य गणेश उत्सव मनाया जाता है। यहां कई पंडाल तो बेहद विशाल और दिव्य होते हैं। दगडूशेठ गणपति से लेकर तुलसी बाग गणपति, केसरीवाडा गणपति और गुरुजी तालीम गणपति समेत दर्जनों पंडाल हर साल सजाए जाते हैं।

 

बिजनेस डेस्क : देशभर में बड़े ही धूमधाम से गणेशोत्सव (Ganeshotsav 2023) मनाया जा रहा है। अगर आप गणेश उत्सव का पूरा आनंद उठाना चाहते हैं तो आपको महाराष्ट्र में मुंबई और पुणे के दिव्य पंडालों तक जरूर पहुंचना चाहिए। पुणे (Pune Ganeshotsav 2023) में तो गणेशजी की विशाल, दिव्य मनमोहक पंडाल सजाए गए हैं। यहां दगडूशेठ गणपति से लेकर तुलसी बाग गणपति, केसरीवाडा गणपति और गुरुजी तालीम गणपति समेत कई पंडाल हैं। इनमें गुरुजी तालीम गणपति जी सबसे पुराने माने जाते हैं। चलिए जानते हैं उनका इतिहास और कैसे मनाया जाता है गणेश उत्सव...

गुरुजी तालीम गणपति का इतिहास

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भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी के दिन से गणेशोत्सव की शुरुआत होती है। यह उत्सव 10 दिनों तक चतुर्दशी तक चलती है। इस दौरान पुणे के प्राचीन गणेश पंडाल गुरूजी तालीम गणपति का दरबार अलग ही दिव्यता लिए हुए रहता है। गुरुजी तालीम गणपति मंडल करीब 138 साल पुरानी संस्था है। इसे पुणे का सबसे पुराना मंडल बताया जाता है। इसकी शुरुआत 1884 में हुई थी। साल 1887 में भीकू शिंदे, नानासाहेब भृविइले और शेख कासम वल्लाद ने यहां उत्सव की शुरुआत की थी। गुरुजी तालीम गणपति में सार्वजनिक गणेशोत्सव शुरू होने से 5 साल पहले ही गणेश उत्सव शुरू हो चुका था। इस गणपति मंडल को हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है।

गुरुजी तालीम गणपति जी की प्रतिमा

इस मंदिर की प्रतिमा शादु की मूल मिट्टी से 1972 में बनाई गई थी। प्रतिमा का निर्माण बोर्ड के कार्यकर्ता तत्कालीन पार्षद श्याम सिंह परदेशी की पहल पर की गई थी। यहां हर साल मूर्ति का रंग-रोगन कर उत्सव में रखा जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां गणेश जी की प्रतिमा के लिए 10 किलो सोना और 20 किलो चांदी के आभूषण बनवाए गए हैं। इस मंडल की सबसे खास बात ये है कि इस मंडल के सदस्य और कार्यकर्ता अपने खर्चे पर गणेशोत्सव करवाते हैं।

गुरुजी तालीम गणपति पंडाल में गणेशोत्सव

लक्ष्मी रोड का गणेश जी का यह दरबार जितना खूबसूरत है, उतनी ही खूबसूरती से इसे सजाया जाता है। यहां मंत्रों, वैदिक भजनों और भक्तिमय गीतों के बीच प्रथम पूज्य श्रीगणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। 10 दिनों तक चलने वाले महोत्सव में गणेश जी की पूजा, आरती, प्रसाद के साथ दूसरे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां गणपति जी का दर्शन करने पूरे भारत से लोग आते हैं। महाराष्ट्र के लोग यहां हर दिन बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की विदाई देखते ही बनती है।

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