RBI का बड़ा तोहफा: अब वक्त से पहले लोन चुकाने पर नहीं लगेगा प्री-पेमेंट चार्ज! जानिए कब से?

Published : Jul 04, 2025, 08:22 PM IST
RBi on prepayment charge

सार

RBI ने फ़्लोटिंग ब्याज दर वाले लोन पर प्री-पेमेंट चार्ज हटा दिया है। 1 जनवरी 2026 से लागू होने वाले इस नियम से कर्ज़दारों को बड़ी राहत मिलेगी। क्या है पूरा मामला, जानिए यहां।

RBI Prepayment Charge New Rule: लोन लेने वालों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बड़ा तोहफा दिया है। RBI ने फैसला किया है कि बैंक अब फ्लोटिंग ब्याज दर वाले लोन पर प्री-पेमेंट चार्ज नहीं वसूलेंगे। यानी अब आपको समय से पहले लोन चुकाने पर अलग से कोई चार्ज नहीं देना होगा। ये नियम सभी कमर्शियल बैंकों के अलावा को-ऑपरेटिव बैंक, नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) समेत नियामक संस्थाओं पर लागू होगा।

कब से लागू होगा RBI का नया नियम?

रिजर्व बैंक का ये नियम अगले साल यानी 1 जनवरी 2026 से लागू होगा। इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा उन लोगों को होगा, जिन्होंने नॉन कमर्शियल वर्क के लिए फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है। इसके साथ ही अगर किसी शख्स ने बिजनेस के लिए लोन लिया है या किसी छोटी कंपनी ने लोन लिया है, उस कंडीशन में भी बैंक प्री-पेमेंट चार्ज नहीं वसूल सकेंगे। हालांकि, इस नियम से कुछ इंस्टीट्यूशंस को छूट दी गई है।

अब तक कैसे मनमानी करते थे बैंक?

उदाहरण के लिए आपने किसी बैंक या NBFC से कोई बिजनेस लोन लिया है। कुछ सालों में आपका बिजनेस अच्छी ग्रोथ करता है और आपकी कमाई कई गुना तक बढ़ जाती है। इसके चलते आप लोन अवधि से पहले ही सारा कर्ज चुकाना चाहते हैं। लेकिन, जब आप बैंक के पास जाते हैं, तो वो प्री-पेमेंट (समय से पहले लोन चुकाने) चार्ज के नाम पर आपसे एक मोटी रकम वसूलने लगते हैं। देश के करोड़ों छोटे व्यापारियों को इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा था। इसके चलते आरबीआई को ये फैसला लेना पड़ा।

प्री-पेमेंट से होने वाली इनकम पर कुछ समय बाद दिखेगा असर

RBI का ये नियम सिर्फ 1 जनवरी 2026 से फ्लोटिंग रेट वाले लोन पर ही लागू होगा। ऐसे में मौजूदा लोन बुक पर इसका कोई असर नहीं होगा। चूंकी लॉन्गटर्म वाले लोन सामान्यत: कुछ सालों में बंद नहीं किए जाते, इसलिए बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को प्री-पेमेंट से होने वाली कमाई पर इसका असर कुछ समय बाद नजर आएगा। बता दें कि बैंक या NBFC कंपनियां ग्राहकों पर प्री-पेमेंट चार्ज इसलिए लगाती हैं, ताकि ग्राहक किसी और बैंक का सस्ता लोन देखकर वहां स्विच न कर लें। इससे उन्हें पूरी अवधि का ब्याज कमाने का मौका मिलता है।

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